Book Title: Nag Kumar Charita
Author(s): Pushpadant Mahakavi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 190
________________ 112 [6.4.8 . णायकुमारचरिउ रत्तउ लंबमाणु णग्गोहउ महिसि हिँ भक्खिजइ णग्गोहउ / दुद्धरभारकिणंकियवरतणु को वि धवलु माणइ कोमलतणु / खरखरीहिँ णिरु णिरु मुक्किउ काणणहरिणहँ कण्ण खुडुक्किउ / राउ सपरियणु रसु आकंखइ गरलंबयफलाई आलुखइ। को वि ण मरइ णेय मुच्छिजइ जग बलवंतु पुण्णु किं छिज्जइ / चोजविसेसरसेण य रसियउ रायहो आग्ग थाइवि हसियउ / घत्ता-दुम्मुहु णामें भिल्लु तेण णाउ पच्चारिउ / विर्सअंबयवणु एउ एण लोउ संघारिउ / / 2 / / Five hundred warriors offer their services to Nagakumara. March to Antarapura. गुरुतरुहलरसविसवसभग्गा माणव जमपुरपंथे लग्गा। पेक्खु देव हडुइँ पुंजलियई पल पलासिहि गिद्धहिँ गिलियई। मइँ आहरण' वत्थई लइय पेई पुण्णई संपुण्ण ई रइयई। वइरि ण पहरइ णियइ णियत्तइ विसु वि अमियरूवेण पवत्तइ / णायकुमारु देउ दइयाहिउ अण्णण्णहो अण्णपणे साहिउ / पत्तवत्तधरधरणीधीरहँ आयई पंचसयई वरवीरहँ। तेहिं णवेप्पिणु भणिउ भडारा अम्हइँ किंकर देव तुहारा। उज्जेणिहिँ मुणिणाहे सिट्ठउ विसहलु जासु सरीरि पइट्ठउ / पुट्ठि जणेसइ सो तुम्हहँ पहु तुहुँ दिह्रो सि णाह णं महुमहु / जा पडिवण्णु तेहिं विजयाणउ भिञ्चत्तणु ता दिण्णु पयाणउ / जंतें रहु रहेण संदाणिउ करिसंकडि करि कह वि हु णोणिउ / घत्ता-अंतरवणु संपत्त जंतु जंतु रमणीसरु / अंतरपुरवरे अत्थि अंतरराउ गरेसरु // 3 // Tagakumara received by the king of Antarapura. The latter resolves to go to Girinagara to help the king against the attack of the king of Sindhu. Nagakumara expresses a desire to accompany him. विविलासिणिणेहें लइयहो सो संमुहु आयउ रइदइयहो। घरि पइसिउ मंगलघोसें अब्भागयविहि कय परिओसें। भणिउ पुरेसें सुहुंजुंतई अच्छहु मंदिरि कण्णाकतई। अहिणव तुम्हई अज्ज जमा अम्हई रक्खिय सज्जणछाया। मंडलियहो अरिवम्महो जायह णियसससुयहो णिमित्तें णिहियह / विलसियकामहे मझें खामहे "आसामह गुणवइणामहे / 5. B D महेसेहिं 6. A B का वि. ७.रडुक्किउ. टाकि D विसु. 3. 1. D पुंजवियई. 2. C पलासहिं गिद्धिहिं. विय 2 पलारिइय अमित्तई. 4. E°णि. 3. C पई पुण्णइयान 5. E अमिउ पुण्णेण. 6. C धरणीधरधीरहं. 7. E विसहरु. 4. 1. E सहु. 2. D E add before this विहिणा रइपरमाणु व विहियहे. ३..पायहा। तणु. हरु. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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