Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie 1d मं०म० सटीक त०२३ // 216 // पकाए015 .. // 68 // कनिष्ठपवित्रारोपणेदेवश्वेतंध्यायेत् // मध्यमारोपणेरक्तम् // श्रेष्ठारोपणेपीतामति // 69 // 70 // अधिवासंविधायेत्थंनिशिजागरणंचरेत्॥देवस्यस्तुतिनामानिवदन्गायश्चतद्गुणान् ॥६८॥प्रातर्नित्यार्च नंकृत्वामूलेनाष्टोत्तरंशतम्॥कनिष्ठाख्यपवित्रंतद्गृहीत्वाचाभिमंत्रयेत् ॥६९॥घंटावादित्रवेदानांकारय न्धोषमुत्तमम् // जयशब्दांश्चदेवस्यकंठेमूलेनचार्पयेत् // 70 // एवमेवार्पयेदन्येपवित्रेमध्यमोत्तमे // श्वेतरक्तंकमात्पीतंध्यायेदेवंतदर्पणे // 71 // वनमालापवित्रंतुतावन्मूलेनमंत्रितम् // अपयेदिष्टदे वस्यमुकुटेमूलमुच्चरन् // 72 // ततःसुवर्णकुसुमैःपुष्पैःशतमितेःसह // मूलाभिमंत्रितंदेवमूर्ध्निमूले नचापयेत् // 73 // हृदान्यपटलस्थानिपवित्राण्यभिमंत्र्यच // तत्तन्नाम्नानमोंतेनपरिवारान्सुरान्य जेत् // 74 // एवंपवित्रैःसंपूज्यधूपादीनिप्रकल्पयेत् // पावकेदेवमावाह्यनित्यहोमंविधायच // 7 // मूलेनाग्निपवित्रंतदर्पयेदेवतांस्मरन् / मूर्तीदेवंसमुद्रास्यवद्भिसंयोज्यचात्मनि // 76 // // 71 // तावदष्टोत्तरशतम् // 72 // 73 // 74 // 75 // 76 // UCOSSESSE // 216 // For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545