Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 18 // व्युत्क्रमासिद्धसुसिद्धानांबहुत्वेसाध्यारीणामल्पत्वेशुभमित्यर्थः॥ 19 // इदंमतंप्राज्ञसंमतंबहुसंम सिद्धादिगणनाका-यावन्मंत्रसमापनम् // नाम्रोयदिसमाप्तिःस्यात्पुनर्नामलिखेत्सुधीः // 18 // एवं संशोधितेषुस्युर्भूरयःसाध्यवैरिणः / अल्पा-सिद्धसुसिद्धाश्चेदशुभंव्युत्क्रमाच्छुभम् // 19 // मतमि त्थंतुकेषांचित्तदपिप्राज्ञसंमतम् // अथवान्यत्प्रकारेणसिद्धादीनांविशोधनम् // 20 // द्वादशारेलि खेच्चक्रवर्णान्पूर्वोदितान्क्रमात् ॥ईशानांतमकाराद्यान्हातान्पंढविवर्जितान् // 21 // तत्रनामार्णमा रभ्यमंत्रावर्णावधिकमात् // गणयेत्सिद्धसाध्यादिफलंतेषांविनिर्दिशेत् // 22 // सिद्ध सिध्यतिकालेन साध्यस्तुजपहोमतः // सुसिद्धःप्राप्तिमात्रेणसाधकंभक्षयेदरिः॥ 23 // सिद्धोनवैकवाणेषुसाध्योरसदि शाक्षिषु // सुसिद्धस्त्रिमुनीशेषुरिपुर्वेदाष्टभानुषु // 24 // अन्योपीहप्रकारोस्तिसिद्धसाध्यादिशोधन॥ चतुःकोष्टेषुविलिखेदादिवर्णान्पुनःपुनः // 25 // नामार्णात्सिद्धसाध्यादिज्ञेयंमन्वक्षरावधि // चतुर्थों पिप्रकारोस्तिसिद्धादीनांविशोधने // 26 // तम् // 20 // अकडमचक्रमाह // द्वादशारइति // षंढाऋऋललइतितान् // 21 // 22 // जपहोमतः जपहो माधिक्येन // 23 // स्पष्टार्थमाह // सिद्धोनवैकादशबाणोष्विति // 24 // 25 // 26 // For Private and Personal Use Only

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