Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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Page 503
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie www.kobatirth.org आद्यपंक्तचतुर्दशाद्यंकाद्वितीयायाम् ।आईऊलहीनाःस्वराएकादश।तृतीयायांकादिठांताः // चतुर्थ्या ठादिफांताः॥ पंचम्यांबादिहांताः // षष्ठयांदशाद्यंकालख्याः // 34 // 35 // 36 // 37 // 38 // कोष्ठेया वतीति // यावतितमेकोष्ठेवर्णस्तमंकमुपर्यकेनगुणयेत् // यथा // प्रथमकोष्ठस्थअकारश्चतुर्दशगुणितश्चतुर्द आयपंक्तौलिखेदकांस्तेकथ्यतेयथाक्रमम् // मनुनक्षत्रनेत्रातिथिषड्वेदवेह्नयः // 34 // सायकावसवो नंदा कोष्टेषुक्रमतःस्थिताः॥द्वितीयपंक्तौसंलेख्या पंचदीघोज्झिताःस्वराः // 35 // तृतीयपंक्तौकाद्यर्णा ष्ठकारांता:शिवर्मिताः // ठादिफांताश्चतुर्थ्यातुपंचम्यांबादिहातिमाः // 36 // षष्ठयांपंक्तोक्रमाल्ले ख्याअंकाःकथ्यंतएवते // दिक्चंद्रमुनिवेदाष्टगुणसप्तेषुसागराः // 37 // रसाश्चरामसंख्याताएवम काउदीरिताः // मंत्रवर्णान्पृथकुर्यात्स्वरव्यंजनरूपतः // 38 // कोष्ठेयावतिवर्णःस्याद्गणयेत्ता वदंककम्॥कोष्ठोपरिस्थेनांकनसर्ववर्णेष्वयंविधिः॥३९॥ दीर्घाक्षराणामंकास्तुज्ञेयालघ्वक्षरस्थिताः॥ एकीकृत्याखिलानंकानष्टभिर्विभजेत्पुनः॥४०॥ शैव // द्वितीयकोष्ठस्थइकारःसप्तविंशत्यागुणितश्चतुःपंचाशत् // एवंतृतीयकोष्ठस्थःउकारःसद्वाभ्यांगुणितः षट् // एवमपि // साधकनामवर्णास्तुदिगादिभिरेवंगुणनीयाः // साध्यस्यांकानेकीकृत्याष्टभिर्भक्तशेषः साध्यराशिः // एवंसाधकांकान्गुणितानेकीकृत्याष्टभक्तेशेषःसाधकराशिः॥३९॥४०॥ For Private and Personal Use Only

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