Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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Page 527
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 7 // निष्कामभजनेफलमाह ॥वेदेइति॥कर्मोपासनबोधनकर्मकांडंज्योतिष्टोमेनस्वर्गकामोयजेतेत्यादि। उपासनाकांडंसूर्योब्रह्मेत्युपासीतयोहवैज्येष्ठंचवेदेत्यादि।इदंकांडद्वयंसाधनंज्ञानस्य ॥तृतीयंज्ञानकांडअय मात्माब्रह्मेत्यादि।तस्मात्सायंफलभूतं // तस्माज्ज्ञानप्राप्तयेप्रयतितव्यमित्यर्थः // 77 // तत्रोपायमाह // तस्मादिति // निष्कारणवेदोक्ताचरणेदेवतोपासनेचांतःकरणशुद्धिस्ततोज्ञानप्राप्तिरित्यर्थः // 78 // ज्ञान निष्कामभजतांदेवमखिलाभीष्टसिद्धयः // प्रतिमंत्रसमुदितायेप्रयोगाःसुखाप्तये // तदासक्तिविहायैव निष्कामोदेवतांभजेत् // 76 // वेदेकांडवयंप्रोक्तंकर्मोपासनबोधनम् // साधनकांडयुग्मोक्तंतृतीये साध्यमीरितम् // 77 // तस्माद्वेदोदितंकुर्यादुपासीतचदेवताः // शुद्धांतःकरणस्तेनलभतेज्ञानमु त्तमम् // 78 // कार्यकारणसंघातंप्रविष्टश्चेतनात्मकनाजीवब्रह्मैवसंपूर्णमितिज्ञात्वाविमुच्यते॥७९॥ मनुष्यदेहसंप्राप्यउपासीतचदेवताः / / यत्रोमुच्येतसंप्तारान्महापापयुतोहिसः // 8 // स्वरूपमाह // कार्येति // कार्याणिकारणानिभूतानिचतत्संघातशरीरंतञ्चालनश्चेतनोजीवोवस्तुतोब्री वेति // साक्षात्कारोज्ञानंतस्मान्मुक्तिः॥ तत्त्वमसिश्वेतकेतोअहंब्रह्मास्मीत्यादिश्रुतेः // 79 // ज्ञानायाप्रय तमाननिंदति // मनुष्योति // 8 // For Private and Personal Use Only

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