Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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Page 537
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie गः // धनोपनस्वरश्चैवघकारोङादिमस्स्मृतः॥२२॥ ॥संज्ञाकोरुद्रकान्तिश्चदशांगुल्यासंस्थितः॥ क्लीववक्रश्चभद्रेशोङकारश्चानुनासिकः // 23 // च॥हलीकूर्मेश्वरोलक्ष्मीर्वामबाह्वादिगस्तथा // चित्र | धारीचंचलश्चचकारस्संस्मृतोबुधैः // 24 // छ॥ एकनेत्रश्चमुशलीवामकूपरगोद्युतिः // त्रिबिन्दुकस्त थाचारीछकार श्लेष्मकाभिधः // 26 // जा|स्थिराजपन्नौजपजश्शूलीचचतुराननः॥ मणिबन्धगतोवा मेजकारांजनकोत्तमः // 26 // झ॥स्थितिःपाशीतथाजेशोवामांगलितलस्थितः॥ स्वस्तिकस्स्थाणु संज्ञश्चझकारोजान्तसंज्ञकः // 27 // भावामामुल्यग्रतःसिद्धिरंकुशीसर्वसंज्ञकः॥ मातंगोह्यनुगास नश्चभकारश्वनिरंजनः ॥२८॥2॥जरामुकुंदस्सोमेशोदक्षपादादिगोमुखः // गजांकुशश्चबालेंदुरमृता द्यष्टकस्स्मृतः॥ 29 // ठ॥लांगलीशोनन्दजश्चपालिनीचकमण्डलुः // दक्षजानुगतस्स्थायीठकार स्स्थविरस्स्मृतः // 30 // ॥नंदीशांतिरिकश्चडामरोदक्षगुल्फगः // व्याघ्रपादश्शुभांत्रिश्चडकार स्तोमरोमतः // 31 // ढ॥ऐश्वरीचार्द्धनारीशोनरश्शाखांतराकृतिः // दक्षपादांगुलीमूलोढलोढकोढ For Private and Personal Use Only

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