Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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Page 530
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सटीक मं० म. // 23 // त०२५ iiiiiibiliotichronाकाका मंत्रसिद्धर्लक्षणमाह // मनःप्रसादइति // 97 // 98 // 99 // 100 // आत्मसाक्षात्कारपर्यतमवमत्रापास्तिार त्याह / लब्धज्ञानइति // अहंब्रह्मेतिसाक्षात्कारोज्ञानमित्यर्थः॥ 101 // ग्रंथसमाप्तामंगलमाचति // तंवंदे इति // ब्रह्मैवनानादेवतारूपेणजनै सेव्यतइत्यर्थः॥ योयोयांयांतनुंभक्त श्रद्धयाचितुमिच्छति // तस्यतस्या सिद्धौविश्वस्तचित्तःसंस्तुरीयेन्देससिद्धिभाक // मनःप्रसादःसंतोषःश्रवणंदुंदुभिध्वनेः // 97 // गीत स्यतालशब्दस्यगंधर्वाणांसमीक्षणम् // स्वतेजसःमूर्यसाम्येक्षणनिद्राक्षुधाजपः॥९८॥ रम्यतारोग्य गांभीर्य्यमभावक्रोधलोभयोः॥ एवमादीनिचिह्नानियदापश्यतिमंत्रवित् // 99 // सिद्धिमंत्रस्यना नीयाद्देवतायाःप्रसन्नताम् // ततोनपेधिकंयनंप्रकुर्याज्ञानलब्धये // 100 // लब्धज्ञानःकृतार्थःस्या संसारात्प्रतिमुच्यते // ज्ञात्वात्मानंपरब्रह्मवेदतैिःप्रतिपादितम् // 101 // तंवंदेपरमात्मा सर्वव्यापि नमीश्वरम् // योनानादेवतारूपोनृणामिष्टंप्रयच्छति // 102 // चलांश्रद्धांतामेवविदधाम्यहम् // सतयाश्रद्धयायुक्तस्तस्याराधनमीहते // लभतेचततःकामान्मयैवविहिता न्हितानितिभगवद्वचनात् // 102 // // 23 // For Private and Personal Use Only

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