Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie मं०म० // 233 // + फलितमाह // आत्मज्ञानति ॥कामक्रोधलोभाअरयस्तेषांक्षयंकृत्वाकृतैःकर्मभिर्वेदिकैर्दैवोपासनादिभिश्च सटीक तःकरणशुद्धिद्वाराज्ञानाप्तिरित्यर्थः / / 81 // देवोपास्तिकुर्वताभविष्यद्विचार्यप्रवर्तितव्यमित्याह / चिकीर्षु| आत्मज्ञानाप्तयेतस्माद्यतितव्यंनरोत्तमैः॥ कर्मभिर्देवसेवाभिःकामाधरिगणक्षयात् // 81 // चिकी पुर्देवतोपास्तिमादौभाविविचारयेत् // नानदानादिकंकृत्वास्मृत्वाहरिपदाम्बुजम्।।८२॥शयीतकुशश य्यायांप्रार्थयेदृषभध्वजम् // भगवन्देवदेवेशशूलभृदृषवाहन // 83 // इष्टानिष्टेसमाचक्ष्वममसुप्त स्यशाश्वत // नमोजायत्रिनेत्रायपिंगलायमहात्मने // 84 // वामायविश्वरूपायस्वनाधिपतयेनमः // स्वप्नेकथयमेतथ्यंसर्वकार्येष्वशेषतः॥८६॥ क्रियासिद्धिविधास्यामित्वत्प्रसादान्महेश्वर // एभिमत्रैः शिवप्रार्थ्यनिद्रांकुनिराकुलः // 86 // स्वप्नंदृष्टंनिशिप्रातप्रवेविनिवेदयेत् // तमंतरेणमंत्रज्ञः स्वयंस्वप्नविचारयेत् // 87 // रिति // विचारप्रकारमाह // नानसंध्यादिकंकृत्वेत्यादिना // 82 // शिवप्रार्थनामंत्रमाह // भगवन्निति ||233 // // 83 // 84 // 85 // 86 // तमंतरेणगुरुविनाशुभाशुभंस्वप्नंस्वयमेवविचारयेत् // 87 // 205SOS SOL For Private and Personal Use Only

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