Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ग्रंथकरणेहेतुमाह // विलोक्येति // ब्राह्मणप्रार्थनमेवहेतुः // 103 // बाणनेत्रमिताः पंचविंशतिः॥ 104 // अनुक्रमणीमाह // भूतशुद्धिरिति // लिपेर्मातृकायान्यसनंन्यासः॥ आद्यप्रथमतरंगेएतदीरितम् // 10 // द्वितीयोौद्वितीयतरंगे गणेशमंत्राः // काल्यादितृतीये // 106 // बंधनहारीतिबंदीविशेषणम् // विलोक्यनानातंत्राणिप्रार्थितोद्विजसत्तमैः॥ स्वमतरनुसारेणकार्योमंत्रमहोदधिः॥ 103 // बाणने त्रमितास्तस्मिस्तरंगाःसंतिनिर्मिताः // तत्रानुक्रमणींवक्ष्येमत्रिणांसुखवृद्धये // 104 // भूतशुद्धिस्त थाप्राणप्रतिष्टान्यसनंलिपेः॥ पुरश्चर्याहोमविधिस्तर्पणाद्याधईरितम् // 105 // द्वितीयोमौगणेश स्यमंत्राःसम्यक्सीरिताः॥ कालीकालीभिधानानांसुमुखीतितृतीयके // 106 // तारातुरीयेसंप्रो ताताराभेदास्तुपञ्चमे // षष्ठेतरङ्गेगदिताछिन्नमस्ताशवर्यापि ॥१०७॥स्वयंवरामधुमतीप्रमदाचप्रमो दया।बंदीवधनहारीतिसप्तमेवटयक्षणी // 108 // तस्याभेदाश्चवाराहीज्येष्ठाकर्णपिशाचिनी।।स्वप्नेश्वरी चमातंगीवाणेशीमदनेश्वरी ॥१०९।।अष्टमेविस्तरात्प्रोक्ताबालाबालाभिदाआपिानवमेत्वन्नपूर्णोक्तातने दामोहनाद्रिजा।११०।ज्येष्ठालक्ष्मीरनमंत्राउक्ताप्रत्यगिरारिहा।दशमेवगलावावाराहीद्वितयंतथा१११ छिन्नमस्तादिबंधतंषष्ठे // 107 // वाराहीवार्तालीवटयक्षिण्यादिकामेश्वर्यतंसप्तमे // 108 // 109 // मोहना द्विजामोहनगौरी // 110 // अरिहाशत्रुनाशकः // षोडशाणेः॥ बगलावाबगलामुखी // 111 // For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545