Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie मं०म० सटीक // 229 // त०२५ होममुद्राआह // मृगीति // 27 // तासांलक्षणमाह // मध्यमेति // 28 // 29 // वर्णानाह // चंद्रेति // शांती चंद्रवर्णायंत्रेबीजत्वेनलेख्याः॥ वशीकरणादोजलादिवर्णाः॥३०॥ चंद्रवर्णानाह / स्वराइति // षोडशस्व राःसठएतेऽष्टादशचंद्रवर्णाः // सन्तितथापिवश्यादौपंचभूतवर्णास्तुप्राक्तरंगेस्वकुलान्यकुलभेदेउक्ताः // पण्मुद्राःकर्मषट्केस्युरथहोमेनिगद्यते // मृगीहंसीशूकरीतिहोमेमुद्रात्रयंमतम् // 27 // मध्यमानामि कांगुष्ठयोगमुद्रामृगीमता // हंसीकनिष्ठाहीनानांसर्वासांयोजनेमता // 28 // शूकरीकरसंकोचेमुद्राल क्षणमीरितम् // शांतौवश्येमृगोहंसीस्तंभनादिषुशूकरी // 29 // चंद्रतोयधराकाशपवनानलवर्णकाः॥ पट्सुकर्मसुयंत्रस्यबीजान्युक्तानिमंत्रिभिः॥ 30 // स्वराःसठौचंद्रवर्णाभूतवर्णाउदीरिताः॥ चंद्राणही नास्तेग्राह्यावशीकृत्यादिकर्मणि // 31 // केचित्सवलहान्यरमाहुश्चंद्रादिवर्णकान् // शांत्यादिकम सुज्ञेयाजातयःषडमू:क्रमात् // 32 // तत्रयंद्यपिचंद्रवर्णाअपिसंतितथापिवश्यादौतोयादिवर्णलेखनेचंद्रवर्णरहितानामेवजलादिवर्णानांलेखनम्॥ H|31 // केषांचिन्मतेसवलहयराक्रमाचंद्रांबुभूनभोनिलानलवर्णाः॥३२॥ B // 229 // For Private and Personal Use Only

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