Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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Page 512
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org मं०म० जीवनमाह // स्वधेति // स्वधावषट्रामायनमःवषट्स्वधेति सहस्रजपोजीवनम् // तर्पणमाह // क्षीरोति // सटीक दुग्धघृतोदकैस्तेनैवमंत्रेणतस्मिन्नेवशतंतर्पयेदितितर्पणम् // 106 // गोपनमाह // जपदिति // ह्रींपुटस्यसहस्रन त०२४ जपोगोपनम् // आप्यायनमाह॥ बालेति॥बालायास्तायंसौगागगनंहः॥ तदाद्येनतेनहसौइतिबीजेनसं // 226 स्वधावषट्पुटंजप्यात्सहस्रंजीवनमनुम् ॥क्षीराज्ययुतपाथोभिस्तर्पणेतर्पयेन्मनुम्॥१०६॥जपेन्मायापु टंमंत्रसहस्रंगोपनहितत्॥वालातार्तीयबीजेनगगनायेनसंपुटम् // 107 // सहस्रप्रजपेन्मेत्रमेतदाप्यायनं मतम् // संस्कारदशकंप्रोक्तंमनूनांदोषनाशकम् // 108 // सिद्धिप्रदाकलियुगेयेमंत्रास्तान्वदाम्यतः॥ व्यर्णएकाक्षरोनुष्टुत्रिविधोनरकेसरी // 109 // पुटस्यसहस्रंजपआप्यायनम् / एकवर्णेनसंपुटत्वमादावंतेचोच्चारणमेव // एकस्यविलोमत्वाशक्तः // 107 // |108 ॥सिद्धमंत्रानाह // व्यर्णइति // वर्णादिस्त्रिविधोनरसिंहः॥ 109 // // 22 For Private and Personal Use Only

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