Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
View full book text ________________ 62. विशेषावश्यक भाष्य, 1813 63. अध्यात्मसार मिथ्यात्वत्यागाधिकार, गाथा 68 64. जैन धर्मदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 53 65. शास्त्रवार्ता समुच्चय की टीका, स्त.-1, गाथा-2 66. आचार्य हरिभद्र के दार्शनिक चिंतन का वैशिष्ट्य, पृ. 452 67. वही 68. स्याद्वाद कल्पलता, स्त.-1, पृ. 34 69. धर्मसंग्रहणी, गाथा 1385, 1386 70. भगवती सूत्र, 12/120 71. अभिधर्मकोश, 4/1 72. षडदर्शन समुच्चय की टीका, पृ. 41 लोकतत्त्व निर्णय, गाथा 12 से 18 योगबिन्दु, गाथा 143 अध्यात्मसार, अनुभवाधिकार, गाथा 24 योगबिन्दु, गाथा 306 जैन धर्मदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 84 वही, पृ. 112 वही षड्दर्शन समुच्चय, कारिका-9 जैन धर्मदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 112 षड्दर्शन समुच्चय का 10 पूर्वार्ध जैन तर्कभाषा, पृ. 109 वही, पृ. 111 जैन धर्मदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 121 वही, पृ. 124 वही, पृ. 122 जैन तर्क भाषा, पृ. 108 वही, पृ. 133 षड्दर्शन समुच्चय, कारिका 21-25 वही, कारिका 67 वही, कारिका 72 90. 91. 564 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
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