Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
________________ 99. 100. 101. 102. 103. 104. 105. 106. 107. 108. 109. हरिभद्र दार्शनिक चिंतन का वैशिष्ट्य, पृ. 462 वही, पृ. 463 वही, पृ. 463 षड्दर्शन समुच्चय, कारिका 81 जैन तर्क परिभाषा वही, पृ. 78 अध्यात्मोपनिषद्, गाथा 43 सर्वज्ञ सिद्धि, श्लोक 64 नियमसार-शुद्धोपयोगाधिकार, गाथा 159 परमात्मप्रकाश, 75 अध्यात्मसार-अनुभवाधिकार, गाथा 24 अध्यात्मोपनिषद्, गाथा 28 न्यायप्रदीप, पृ. 2 न्याय प्रदीप, पृ. 2 सुजसवेली भास के आधार पर न्यायखंडन खंड खाद्य जैन तर्क भाषा अनेकान्तवाद, स्याद्वाद और सप्तभंगी ब्रह्मानन्द-अद्वैतानन्दप्रकरण, पृ. 35 अध्यात्मोपनिषद्, 1/62 वही, गाथा 44 अध्यात्मोपनिषद्, गाथा 51; वीतरागस्तोत्र, 8 आश्वमेधिक अनुगीता, गाथा 35 अध्यात्मोपनिषद्; वीतरागस्तोत्र 8 भारतीय दर्शनिक चिंतन में अनेकान्त वैशेषिक सूत्र, 1/2/5 अध्यात्मोपनिषद्; वीतराग स्तोत्र, 8 भारतीय दार्शनिक चिंतन में अनेकान्त, पृ. 14 उपाध्याय यशोविजय का अध्यात्मवाद, पृ. 208 महावीरस्तव ग्रंथ, गाथा 44 अध्यात्मोपनिषद्, गाथा 48 110. ill. 112. 113. 114. 115. 116. 117. 118. 119. 120. 121. 122. 123. 565 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
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