Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
View full book text ________________ 31. वही, गाथा 6 32. भगवतीसूत्र, 7/2/58, 59 33. बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, भाग-1 34. अध्यात्मसार अनुभवाधिकार, गाथा 22 35. वही, गाथा 24 36. योगविंशिका, पृ. 4 37. योगबिन्दु, गाथा 15 38. योगविंशिका, टीका अनुवाद-उपाध्याय यशोविजय, पृ. 137 39. योगबिन्दु, गाथा 200 40. योगविंशिका, टीका अनुवाद उपाध्याय यशोविजय, पृ. 30 41. योगबिन्दु, गाथा 55, 56 42. योगविंशिका टीका, भावानुवाद उपाध्याय यशोविजय, पृ. 146 43. आध्यात्मिक विकास की भूमिकाएँ एवं पूर्णता, पृ. 109 44. सर्वदर्शनसंग्रह, चार्वाक दर्शन 45. न्यायसूत्र, 1/1/22; तर्कदीपिका 46. जैन धर्मदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 29 47. आचार्य मल्लिषेण ने जैन धर्म-दर्शन और भारतीय दर्शन में कहा है, पृ. 30 48. वही, पृ. 30 49. वही, पृ. 30 50. वही, पृ. 31 51. वही 52. छान्दोग्योपनिषद्, 3/14 53. आध्यात्मिक विकास की भूमिकाएँ एवं पूर्णताएँ, पृ. 108 54. जैन धर्मदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 32 55. वही 56. तत्त्वार्थसूत्र, 1/7 57. वही, 1/1 58. औपपातिक सूत्र 59. उत्तराध्ययन सूत्र से उद्धृत जैनदर्शन और भारतीय दर्शन, पृ. 35 60. विशेषावश्यक भाष्य, 1805 61. अध्यात्मसार मिथ्यात्वत्यागाधिकार, गाथा 65 563 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
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