Book Title: Mahopadhyay Yashvijay ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Author(s): Amrutrasashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust

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Page 675
________________ 15. अग्नि पुराण पं. श्रीरामजी शर्मा 16. अमूर्त चिन्तन आचार्य महाप्रज्ञ यशोविजयगणि 17. अनेकान्त व्यवस्था प्रकरण 18. अनेकान्त जयपताका 19. अनुयोग मलधारीय वृत्ति 20. अपभ्रंश और हिन्दी में जैन रहस्यवाद 21. अष्टपदी 22. श्री आचारांग सूत्र हिन्दी टीका, भाग 1-4 संस्कृति संस्थान, ख्वाजा कुतुब सन् 1987 वेदनगर, बरेली तुलसी अध्यात्म नीडम् प्रकाशन, सन् 1992 जैन विश्व भारती, लाडनूँ श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट, वि.सं. 2414 मुम्बई ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट, बरोड़ा वि.सं. 1940 श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुम्बई वि.सं. 2045 समकालीन प्रकाशन, वाराणसी सं. 2022 प्रथमवृत्ति आचार्य हरिभद्रसूरि मलधारी हेमचन्द्र सूरि डॉ. वासुदेव सिंह उपाध्याय यशोविजय मुनिराज जयप्रभ विजयजी श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन, देरासर शेरी, पो. आहोर, जालौर 23. आचारांग सूत्र सुधर्मा स्वामी धनपतसिंह बहादुर, आगम संग्रह, ई. 1936 कलकत्ता 24. आचार्य हरिभद्र सूरि के डॉ. साध्वी अनेकान्तलताश्री श्री राज राजेन्द्र प्रकाशन ट्रस्ट, वीर सं. 2435 दार्शनिक चिंतन का वैशिष्ट्य अहमदाबाद वि.सं. 2065 ई. सन् 2008 25. आठ दृष्टि की सज्झाय उपाध्याय यशोविजय श्री धर्म प्रसारण ट्रस्ट, अडाजण वी.सं. 2526 पाटिया, सूरत वि.सं. 2056 ई. सन् 2000 26. आनन्दघन का रहस्यवाद साध्वी सुदर्शनाश्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वी.सं. 2454 वाराणसी वि.सं. 1984 27. आत्म प्रकाश श्री बुद्धिसागर सूरि रचित श्री अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा श्री अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मंडल, पादरा 28. आत्म प्रदीप सन् 1965 29. आत्म प्रबोध श्री कुमार कवि विरचित भारतीय जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था, कलकत्ता 588 Jain Education Interational For Personal Private Use Only www.jainelibrary.org

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