Book Title: Mahavira ka Arthashastra Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Adarsh Sahitya SanghPage 13
________________ महाप्रज्ञ कहते हैं— अपरिग्रह के चिन्तन से ही निकल सकता है परिग्रह का पावन दर्शन अहिंसा और शान्ति के अर्थशास्त्र का कमनीय अयन जिस पर चलकर पा सकता है हर पाठक शान्ति की वह दिव्य मणि जो भौतिकता की चकाचौंध में हो गई है आंखों से ओझल । नई दिल्ली १३ सितम्बर १९९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only मुनि धनंजयकुमार www.jainelibrary.orgPage Navigation
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