Book Title: Mahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Author(s): C P Singhi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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पोरवालों को दानवीरता कार्य है और परमात्मा इनको इसमें अवश्य सफलता दे ऐमी ईघर से बार बार प्रार्थना है तथा इस देश में विद्या बुद्धि धर्म आदि में अधिक जागृति हो यह आन्तरिक इच्छा है। शुभम् ।
सन्तः सन्तु प्रसमा निज निज कृतिकर्ष सीमानमाता । वेदाङ्गोपाङ्ग लक्ष्मीर्चेलतु मतिमतामास्थरतान्तरेषु ॥ निर्वैरो भक्तियोगः प्रसरतु भवन्ता मैश्वरे ध्येय काये ।
जीव्यात् सम्रा पितवे प्रकृति हितरतो मारत मालु भूयः॥ परिषद् के निभाव फंड के लिये चन्दा एकत्र करने का काम शुरू करने में माया जिसमें नीचे माफिक रकमों के बचन सम्मेलन को प्राप्त हए:रुपये
दाता ७५१) श्रीमान् सेठ दलीचंदजी बीरचंदजी श्राफ, परत ५०१) ,, 'जातिभूषण' डाहाजी देवीचंद, मडवाड़िया ३०१) , , भभूतमलजी चतराजी, देलदर
" , रणछोड़ भाई रायचंदजी, बम्बई
विजयराजजी लालचंदजी धनराजनी, सिरोही " , उमाजी आंबाजी, मालवाड़ा ,, रायचंदजी दुर्लभजी, परत ", फोजमलजी वालाजी, शिवगंज " " इलाजी पीथाजी, बापला ", हिन्दुनी प्रागाजी, मालवाड़ा
"" चिमनलाल भाई एडवोकेट, सूरत २५) ,, मगनलालजी झवेरचंदजी, सूस्त
" , नाथालालजी जवेरचंदजी, " २५)
, अचलदासजी चिमनलालजी, सूरत
" " विनयचंदनी ताराचंदजी, सिरोही २५) " " समर्थमलजी रतनचंदनी, सिरोही
", कुन्दनमलजी जवानमलजी, , २५) . ", ॐकारमलजी नेमाजी "
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