Book Title: Mahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Author(s): C P Singhi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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महावीर ३-मामेरा करते वक्त ढोल थाली बाजंत्र का ४) २० दिया जायगा । ४-मामेरा करते वक्त नारेल टक्का जो हाजिर होवेगें उनको दिया जयगा ।
मृत्यु सम्बन्धी १-हाथजोड बदस्तूर कायम रहेगी। २-दुणा व कोरला बन्द किया जाता है मगर मन्दिर में जो देने का दस्तूर
है वह कायम रक्खा जाता है । आगोरी थाली बन्द की जाती है । ३-मांडी करना बन्द किया जाता है । ४-गैर नियात का जलाने जाय उसके यहाँ की आदमी जीमन एक सेर
तोल सिरोही का भेजा जाय । ५-टाणे बन्द किये जाते हैं। ६-विधवा होने बाद लुगाई ११ महा से १३ महा के अन्दर देवदर्शन
करके बाहिर फिरे इससे अधिक खूणे नहीं बैठे । . ७-बेटा बेटी के मा बाप १४ महा से ज्यादा गमी नहीं रक्खे । दसरे
रिश्तेदार ६ महा से जियादा गमी नहीं रक्खे और रंग बदला देवे । ८-गमी का काला रंग बांधना व ओढ़ना बन्द किया जाता है। हब्बासी
मुंगया व आसमानी रंग रक्खा जाय । ह-बेटा बेटी की मा खूणे बैठती है वह दो महा से जियादा नहीं बैठे । १०-आदमी मरे उसके सासरे में छेडो डालने का रिवाज है वह कायम रहे
मगर कपड़ा बदलाने बाद छेडा लेना बन्द किया जाता है। ११-छः तिथि दीवाली के पांच रोज, पयूषण, ओली, आखातीज व अहाई के
दिनों में छेडा लेना बंद किया जाता है। मगर इन्ही दिनों में कोई फोत होजाय तो डाढ़ी तक या बाहिर गांवों से काणी आयें तो उसके लिये
छूट है । रोजाना शाम को छेडा लेते हैं वह बन्द किया जाता है। १२-खणे वाली औरत १५ महीने व उसके मा बाप सासु ससुर १६ महा के
खतम होने पर पुर पुरसिया लेवे ।