Book Title: Mahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Author(s): C P Singhi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
View full book text
________________
महावीर लय और छात्रालय अपने प्रान्त में योग्य स्थान पर स्थापित करने का दृढ़ निश्चय किया है। जिसके लिय स्थाया फण्ड को एक कमेटी नियुक्त हो चुकी है और जिसने झोरा के हरेक गांव में पर्यटन कर चन्दा लिखाना शुरू किया है जिसमें डेढ लाख रुपया अब तक हो चुका है और अभी चन्दा लिखाना जारी है। कार्य उत्साह पूर्वक जैसा चल रहा है उसी प्रकार चलता रहेगा तो आशा है कि विद्यालय की स्थापना शीघ्र ही हो जायगी । अब शीघ्र ही झोरा प्रान्त के सब गांवों के पंच विद्यालय के लिये एकत्र होने वाले हैं जिसमें कई बातों पर विचार किया जायगा। - इस विद्यालय के फण्ड की शुरुआत योगनिष्ठ शान्त मूर्ति अनन्तजीव प्रतिपाल योगलब्धिसम्पन्न राजराजेश्वर श्री शान्तिविजयजी महाराज के उपदंश से श्रोबामणवाड़जी मुकाम पर ता० १२-४-१९३३ ई० को हुई और उनके उपदेश से श्रीमान् सेठ कपूरचन्दर्जा व मभृतमलजी दलदरनिवासी दोनों भ्राताओं ने रु० ५१०००) एकावन हजार लिखकर फण्ड की शुरूआत कर दी। विद्यालय कमेटी से प्रार्थना है कि वे विद्यालय सम्बन्धी प्रगति से सचित किया करें ताकि माहवार विद्यालय का हाल प्रकाशित कर दिया जायगा। आगे फण्ड करीब रु० १५००००) डेढ लाख लिखाया जा चुका है परन्तु चन्दा देने वाले महाशयों के नाम मालूम न होने से नहीं लिखे गये। आने पर प्रकाशित कर दिये जाएंगे।
पोरवाल समाज में सगपण की गम्भीर समस्या यह बात समाज के किसी व्यक्ति से छिपी नहीं है कि समाज के बहुत से नवयुवकों के लिये कन्या और कन्याओं के लिये योग्य वर नहीं मिलते हैं और समाज के कई वाड़ा बन्दी होने से सगपण रुके हैं अतएव सम्मेलन के प्रस्ताव ९ के अनुसार शादी का क्षेत्र विस्तृत करने की परम आवश्यक्ता है और सब की इच्छा है। इस इच्छा को कार्यरूप में लाने के लिये हमारी समाज में कितने पुरुष, स्त्री, ब्याहे, विधुर या विधवा, कुंआरे या कुंभारी हैं इसकी संख्या प्रति गांववार मालूम न हो जब तक हम सगपण शादी का क्षेत्र विशाल नहीं कर सकते हैं अतएव पोरवाल समाज के उत्साही नेता और नवयुवकों से निवेदन है कि वे अपने २ गांव और आस पास के गांव में से निम्न लिखित बातें तपास कर लिखें।