Book Title: Mahavir 1933 04 to 07 Varsh 01 Ank 01 to 04
Author(s): C P Singhi and Others
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Porwal Maha Sammelan
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महावीर
प्रगति का साधन पत्र
लेखकः भीमाशंकर शर्मा, वकील, सिरोही ।
"Pen is mightier than Sword" . आधुनिक सभ्यता की अनेक प्रगति कारक एवं हितकारक बातों में वर्तमान पत्र या अखबार भी एक मुख्य बात है। वर्तमान युग में किसी भी देश, जाति या राष्ट्र की उन्नति का मुख्य साधन एवं प्रगति प्राप्त किये का मुख्य चिन्ह पत्र यानी अखबार समझा जाता है। वर्तमानपत्र की उत्पत्ति का इतिहास देखने से मालूम होता है कि उसका जन्म पहले पहल चीन में हुआ था। अाज तमाम सभ्य एवं प्रगतिशील देशों में नि:सस्त्र प्रजा का शस्त्र, पराधीन प्रजा का एक मात्र आश्वासन अखबार समझा जाता है। जिस देशमें या जाति में अखबार नहीं निकलते हों वह देश या जाति सभ्य नहीं माने जाते । मुद्रण यंत्रों की खोज होने के बाद यह पत्र सम्पादन-कला भी आधुनिक सभ्यता में एक एक महत्व पूर्ण स्थान रखने लगी है। इस कला के मर्मज्ञ प्राचार्य आज अपने देश में सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। बल्कि वे अपने समाज में एक प्रकार की शक्ति के केन्द्र ( Center of power ) समझे जाते हैं। वे चाहे तो राज्य में या समाज में क्रान्ति पैदा कर सकते हैं। प्राचीन काल के ब्राह्मणों को भारतवर्ष में अन्य वर्णों वाले जिस सम्मान की दृष्टि से देखते थे और भारतीय समाज पर उन विप्र देवताओं का जो प्रभुत्व था, उससे भी अधिक सम्मान की दृष्टि से आधुनिक शिक्षित समाज पत्र-सम्पादकों को देखती है और देश या समाज पर उनका ब्राह्मणों से भी बढ कर प्रभुत्व है। यूरोप, अमरीका के बड़े बड़े देशों में पत्रों की उपयोगिता जितनी समझी गई है, उतनी शायद ही किसी देश में समझी गई हो । अच्छे अच्छे पत्रों के दिन भर में ८-१० संस्करण निकलते हैं और प्रात:काल से लेकर सायंकाल तक ऐसे पत्रों की लाखों नकलें निकल कर घंटों में बिक जाती हैं। वहां करोडपति अमीर से लेकर मील या