Book Title: Maharani Chelna Ki Vijay
Author(s): Rajni Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ चेलना चित्रकार भरतकुमार तुरंत आगया. कही चित्रकार! हमारे राज्य में तुम्हें किसी तरह का कष्ट तो नहीं? तुम्हारे काम में कोई बाधा तो नहीं डालता ? तुम्हें अपना निवास स्थान अच्छा लगा ? युवराज ! आपके होते हुए क्या कह सकता है. फिर भला किसमें साहस है जो मेरे काम में बाधा डाले. युवराज ! वह घर तो लगता है आपने मेरी रुचि के अनुकूल ही बनवाया है. मेरी चित्रशाला में बड़े-बड़े लोग आते हैं और चित्रों का आनन्द लेते हैं.. 5 क्या सम्राट बिम्बसार भी कभी आपकी चित्रशाला में आए ? भी जी हाँ महाराज तीन-चार बार कृपा कर चुके हैं.

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36