Book Title: Maharani Chelna Ki Vijay
Author(s): Rajni Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 17
________________ चेलना कभी-कभी वह उन सेठों के साथ मिलकर | कभी-कभी संगीत वाद्यों के साथ पूजन होता. जिनेन्द्र भगवान का पूजन करता जिस समय रत्न प्रकाश भजन-पूजन करता, उसके शब्द रनिवास में भी पहुँचते, महिलाएं। भी सुनतीं और जिन-भक्ति की प्रशंसा करतीं. वाह! कितना मधुर कोई सच्चा संगीत है। कितना श्रेष्ठ जिन भक्त मंत्रोच्चार है। लगता है आनन्द जो विधिआगया बिधान से पूजा कर रहा है. Che एक दिन ... दोपहर का समय था. राजमहल के सभी दास-दासियाँ काम समाप्त कर विश्राम कररहे थे. 15

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