Book Title: Maharani Chelna Ki Vijay
Author(s): Rajni Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 32
________________ जैन चित्रकथा दासी! तुम तत्कालजाकर महाराज को सूचना महाराज श्रेणिक के पास चेलना दो कि मैं उनसे मिलना चाहती हूं. महाराज! आपजानते हैं कि वैशाली। किंतु महारानी! की सेना क्यों आई है? मैं नहीं चाहती। युद्ध के लिए हमने किमेरे कारण नहीं, वैशाली की सेनाओं ने हमें कृपया ललकारा है.और उसकाउत्तर देनातोहमारा कर्तव्य यहयुद्धही. रोकिए तो क्या तुम इस किंतु हजारों लोग मारे जाएंगेइस हिंसा का पाप तो मुझे ही भोगना पड़ेगा, क्योंकि इसयुद्ध का कारण मैं ही युद्धको शरीक सकती तो हँ. ठीक है! चलो, मैं तुम्हारे साथ चलता हूं. यही करना होगा. मुझे युद्ध भूमि में जाना होगा. देखती हँ मेरे होते हुए वैशाली की सेना कैसे युद्ध कर सकती है. 30

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