________________
भूल हो गई रत्न प्रकाश जी ! क्षमा करें.
जैन चित्रकथा
अब हमें महाराज चेटक से आज्ञा लेनी है कि हम यहाँ रह सकें और हीरों का
व्यापार कर सकें.
| राजा चेटक इनसे प्रसन्न तो थे ही, उन्होंने इन्हें अनुमति दे दी.
अब मुझे शीघ्र ही अपने निवास के पास ही चैत्यालय का निर्माण)
करवाना चाहिए, जिसमें)
जिन भगवान की
स्थापना करके
उनकी
पूजा
करूँ
Ooo:
और चार-पाँच दिन के अंदर ही रत्न प्रकाश ने अपने निवास स्थान के अंदर एक मनोहर चैत्यालय बनवा लिया.
14
| उस चैत्यालय में युवराज अत्यंत धूमधाम से सुबह-शाम जिन भगवान की पूजा करने लगे.
Shot