Book Title: Maharani Chelna Ki Vijay
Author(s): Rajni Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 25
________________ चेलना और यदि उनसे मगध नरेश || तब श्रेष्ठी. राजा श्रेणिक के बारे में हम कहें भी, तो उनसे | के बारे में सोचना वैसे ही है हमारे पिता के सम्बंध कैसे हैं, जैसे कोई बौना, आम के वृक्ष यह हम नही जानती. से फल तोडने की बात सोचे. YOU राजकुमारी! यदि आपके मन में राजा श्रोणिक को पाने की इतनी अभिलाषा है, तो अवश्य ही उसका कोई मार्ग भी होगा. और वह मार्ग में बता सकता हूँ. क्या आपके पास कोई उपाय है? पर मगध तो बहुत दूर है. आपका कोई भी उपायकैसे संभव हो सकता है? Wr 23

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