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राजा श्रेणिक जैन धर्म के
परम भक्त हैं. वह अनेक गुणों के भंडार
हैं.
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चेलना
राजा श्रेणिक के जैसा कोषबल भी आज भारत में किसी अन्य राजा के पास नहीं है, उनके समान धर्मात्मा गुणी तथा प्रतापीराजा इस पृथ्वी पर दूसरा नहीं है.
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राजा श्रेणिक बिंबसार रुप में कामदेव के समान, बल में विष्णु के समान, ऐशवर्य में इन्द्र के समान हैं. हे राजकन्याओं, हम उन्हीं
तथा
नगर में रहने वा रत्नों के व्यापारी हैं:
हमें यह सौभाग्य प्राप्त है कि हम उनके महल में जब चाहे जा सकते हैं. जब चाहे उनसे मिल सकते हैं.