Book Title: Maharani Chelna Ki Vijay
Author(s): Rajni Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 18
________________ जैन चित्रकथा किंतु चेलना और उसकी बड़ी बहन ज्येष्ठा अपने एक कमरे में बातें कर रहीं थी. चलना ! मैंने जिन भगवान की, भक्ति भाव से ऐसी उत्तम पूजा करने वाला पुरुष आज तक नहीं देखा. चेलना, मेरी तो कई बार इच्छा हुई किक्यों न चलकर चैत्यालय में स्वयं | देखूं कि भगवान की ऐसी आनंद -दायी स्तुति करने वाला व्यक्ति कौन है ! पर... P Pood For 000000 पर अपरिचित व्यक्ति के यहाँ जाने में संकोच होता है. फिर पिताजी को मालूम होगा तो वह क्रोध करेंगे. yanen 16 "हाँ ज्येष्ठा बहन ! वह जिन भगवान की स्तुति इतने मधुर कण्ठ से करता है कि परम आनंद की अनुभूति, होती है. तुमने तो मेरे मन की बात कह दी ज्येष्ठा, सच, यह इच्छा तो मेरी भी हुई.... पर..... JAVAVATAVAVAYAVA जिसकी धर्म में ऐसी गहरी आस्था हो, उस व्यक्ति से मिलने में संकोच कैसा ? R opence257 इसका अर्थ है कि हमें वहाँ चलना चाहिए ?

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