Book Title: Maharani Chelna Ki Vijay
Author(s): Rajni Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 13
________________ चेलना महामात्य! बस आप सुरंग मार्ग का निर्माण ) | किंतु युवराज ! आपको इस योजना में अत्यंत शीघ्र आरंभ करा दें। वह सुरंग गंगा के इस सावधान रहना होगा. तनिक सी असावधानी पार से होती हुई वैशाली के उस मकान | से आपके प्राण भी संकट में पड़ सकते है, तक पहुंचे जहां में निवास करुंगा. A चिंतान करें, महामात्य! आप किंतु आपको एक सहायता और करनी) होगी,महामात्य! आज्ञा करेंपिताजी से अनुमति और युवराज! आशीर्वाद भी आपको ही प्राप्त करके देना होगा. उनकी अनुमति के बिना मैं नहीं जासकूँगा. तो फिर ? उसकी चिंता न करें युवराज। आप जानते हैं किसम्राट आपको कितना प्यार करते हैं और आपके प्राण संकट में पड़ें यह वे कभी नहीं चाहेंगे.

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