Book Title: Mahabal Malayasundari
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 272
________________ बंदरगाह पर न उतरकर वह टापू की एक खाड़ी की तरफ गया। लगभग रात्रि के उत्तरार्द्ध में वह मलया को लेकर टापू के एक निर्जन और पर्वतीय क्षेत्र के किनारे उतरा। कारु सरदार आज अत्यन्त प्रसन्न था। भारत की ऐसी सुन्दरी को पाना प्रतिष्ठा का प्रतीक था और ऐसी सुन्दर स्त्री को प्राप्त करने वाले को उस जाति के कुलदेवता के पुजारी का आशीर्वाद प्राप्त होता था। ____ कारु सरदार उस जाति का मुखिया था ऐसी सुन्दर स्त्री को प्राप्त करने के लिए वह वर्षों से प्रयत्न कर रहा था। आज वह स्वप्न फलित हुआ और उसका आनंद हिलोरें लेने लगा। मलया मूच्छित अवस्था में पड़ी थी। कारु सरदार मूच्छित मलयासुन्दरी को नौका से उतारकर एक झोली की डोली में उसे डालकर ले चला। मलया वनौषधि के प्रभाव से अचानक मूच्छित हो गई थी। उसे यह ज्ञात ही नहीं था कि एक कोट्याधीश सेठ इस प्रकार सौदा करेगा, इसे बेचेगा। दिन का प्रथम प्रहर पूरा हो रहा था। कारु सरदार अपने साथियों के साथ तथा मूच्छित मलयासुन्दरी को लेकर पर्वतीय गांव में पहुंच गया। ___कार सरदार गांव के मध्य पहुंचकर अपने साथियों से बोला---'तुम सब देवता की पहाड़ी पर जाओ''मैं पुजारी महाराज को बुलाकर लाता हूं।' इस कारु जाति में पुजारी का स्थान देवता के समान माना जाता था। पुजारी का निर्णय अंतिम निर्णय होता था। पुजारी के बाद आता था सरदार का स्थान । पुजारी की उम्र अस्सी वर्ष की थी। वह सशक्त और बलिष्ठ था। जब देवता के भोग चढ़ता था तब वह एक ही प्रहार से भैंसे का सिर धड़ से अलग कर देता था। उसके सोलह स्त्रियां थीं। संतानों की गिनती करना कठिन था । सरदार पुजारी की झोंपड़ी पर पहुंचकर बोला---'पुजारीजी ! देवी के मंदिर में चलें। एक भारतीय नारी को लाया हूं."आप देवी की पूजा करें, उसकी मूर्छा दूर करें और फिर उसका रक्त देवी को चढ़ाएं. 'आज रात मैं उसके साथ विवाह करूंगा।' पुजारी ने उसे आशीर्वाद दिया और उसके साथ देवी के मंदिर की ओर चल पड़ा। सब उस देवी की पहाड़ी पर पहुंच गए। पुजारी ने देवी को धूप दिया। फिर वह अपने बैठने के स्थान पर आकर बैठ गया । अन्यान्य लोग नाचने-कूदने लगे और विचित्र भाषा में कलरव करने लगे। महाबल मलयासुन्दरी २६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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