Book Title: Mahabal Malayasundari
Author(s): Dulahrajmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 310
________________ मलया आनंद से उछल आगे बढ़ी और स्वामी के चरणों में लुढ़क गई। और उस समय सभा में एक नया आश्चर्य घटित हुआ। महाबल ने आम का जो करंडक रखा था उसमें से आवाज आने लगी'राजा को खाऊं या मंत्री को खाऊं?' ३.धधकती आग 'राजा को खाऊं या मंत्री को खाऊ'- यह शब्द सुन सारी सभा भयभीत हो गई। सबकी आंखें करंडक की ओर स्थिर हो गईं। महाबल और मलया बातें करते-करते राजसभा के पिछले भाग में स्थित उद्यान में चले गए। करंडक में से बार-बार यह ध्वनि निकल रही थी-'राजा को खाऊं या मंत्री को खाऊं?' ___ महामंत्री ने राजा से कहा-'महाराज ! सिद्धेश्वर आम के बदले मायाजाल ले आया है । मैं अभी उस मायाजाल का भंडाफोड़ करता हूं। उसी समय घबराए हुए राजा ने कहा—'महामंत्री ! आप करंडक के पास न जाएं। सिद्धेश्वर को बुला भेजें । वे मंत्रणागृह में मलया से बातें कर रहे महामंत्री बोला---'महाराज ! आप चिन्ता न करें. 'करंडक में इन्द्रजाल के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है । मैं सभा को बता देना चाहता हूं कि इस करंडक में आम नहीं है।' यह कहकर महामंत्री करंडक के पास आया, करंडक का ढक्कन खोलकर आम निकालने के लिए हाथ डाला'.. ' उसी समय करंडक में से भयंकर ज्वाला निकली जिसने तत्काल मंत्री जीवक को भस्म कर डाला। मंत्री वहीं राख का ढेर बन गया। सभा में हाहाकार मच गया। सभी भय-त्रस्त होकर कांपने लगे। अभी भी करंडक से भयंकर ज्वाला निकल रही थी। सभी उसको भयमिश्रित आश्चर्य से देख रहे थे। ___ ज्वाला करंडक को छोड़कर अधर आकाश में चलने लगी। सभी भयाक्रान्त होकर कांपने लगे। दो व्यक्ति सिद्धेश्वर को बुलाने गए । सिद्धेश्वर ने समझ लिया कि यह सारा व्यंतरदेव का चमत्कार है । वह राजसभा में आया । कंदर्पदेव ने सिद्धेश्वर से कहा-'महापुरुष ! कृपा कर इस ज्वाला को शान्त करें। लोग भयभीत हो रहे हैं।' तत्काल महाबल करंडक के पास गया और हाथ जोड़कर बोला-'शांत महाबल मलयासुन्दरी ३०१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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