Book Title: Loknalidwatrinshika
Author(s): Vijayjinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 3
________________ प्रस्ताव नादि लोकनालिकादि प्रकरण षटकम् ||२|| प्रकाशिका:-श्री हर्षपुष्पामत जैन ग्रन्थमाला (लाखाबावल) c/o. श्रुत ज्ञानभवन, ४५, दिग्विजय प्लोट, जामनगर (सौराष्ट्र) वीर सं. २५१९ * विक्रम सं. २०४९ * सन् १९९३ * प्रथमावृत्तिः * प्रतयः ७५० -: आभार दर्शन :अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजना द्वारा आ लोकनालिद्वात्रिंशिका आदि छ प्रकरण प्रगट थाय छे. आ ग्रन्थनुसंपादन पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे कर्यु छे. तेओश्रीना उपदेशथी ४५ दिग्विजय प्लोट जामनगर श्री हालारी वीशा ओशवाल तपगच्छ जैन उपाश्रय अने धर्म स्थानक ट्रस्ट तथा तेओना आज्ञावर्ती पू. सा. श्री इन्द्रप्रभाश्रीजी म.ना उपदेशथी श्री हालारी वीशा ओसवाल तपगच्छ जैन संघ थानगढ (सौराष्ट) तरफथी सहकार मल्यो छे. ते माटे उपदेशक तथा दाताओनो आभार मानीए छीए. २५-८-९३ . महेता मगनलाल चत्रभुज शाकमारकेट सामे, व्यवस्थापक जामनगर श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला ।।२।। For Persona & Private Use Only W an Education anelibrary.org

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