Book Title: Loknalidwatrinshika
Author(s): Vijayjinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 1
________________ R ( ANDRO*4-NGO -46074-10 - NOV- HHODDEHG श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्क: २६६ ॥श्री महावीरजिनेन्द्राय नमः ।। श्रीमणिबुद्ध्याणंदहर्षकर्पूरामृतसूरिभ्यो नमः ।। लोकनालिद्वात्रिंशिकादिप्रकरणषट्कम् ।। (लोकनालि-लध्वल्पबहत्व योनिस्तव-भावप्रकरण कुपदृष्टान्तविशदीकरण प्रकरणं निशाभक्त स्वरूपतो दषितत्व विचारात्मक) : संशोधक: संपादकश्च: तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेव श्री विजयकर्पूरसूरीश्वर-पट्टधर-हालारदेशोद्धारक पूज्याचार्यदेव श्री विजयामतसूरीश्वर-पट्टधरः पूज्याचार्यदेव श्री विजयजिनेन्द्रसरीश्वरः सहायका: पू आ. श्री विजयजिनेन्द्र सू. सदुपदेशतः श्री हालारी वीशा ओसवाल तपागच्छ जैन उपाश्रय धर्मस्थानक ट्रस्ट, ४५, दिग्विजय प्लोट, जामनगर तथा च पू. सा. श्री इन्द्रप्रभाश्री सदुपदेशतः श्री थानगढस्थ हालारी वोशा ओसवाल श्वे. म्. तपा. संघ प्रदत्त साहाय्येन प्रकाशिका: श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (जि. जामनगर) सौराष्ट्र 勞纷纷纷纷纷除他外,他物除外: Jain-Education idarnithailan

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