Book Title: Laghu Trishashti Shalaka Purush Charitam
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
________________ चरितम् ] लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् [ 269 द्विजाक्षिबुद्धयाऽमृद्नात् स श्लेष्मातकफलान्यपि / तस्यैवं कुर्वतः पापं शरत्पोडशकं ययौ // 191 // अष्टाविंशतिवर्षाणि कौमारे मण्डलिश्रियम् / षट् पश्चाशत् समाजग्मुः षोडशाब्दाश्च दिग्जये // 192 // षट्शती शरदां चक्रिभावेऽस्य विषयैषिणः / सोऽन्ते कुरुमतीं ध्यायन् सप्तमं नरकं ययौ // 193 // इति श्रीलघुत्रिषष्टीये चरिते ब्रह्मदत्तद्वादशचक्रिणः प्रबन्धः सम्पूर्णः / ग्रं. 193 - runwar . श्रीपार्श्वचरितम् / श्रीनाभेयप्रभुर्भूयात् सतां कल्याणसम्पदे / मिषानखाना लेखानामिन्द्रा यस्यांहिसेवकाः // 1 // अथ क्रमागतं चक्रिशकचक्राचिंतप्रभोः / श्रीमत्पावहितो वक्ष्ये चरितं दुरितापहम् // 2 // व्याख्यातमपि विख्यातं पूर्वाचार्यैरपूर्ववत् / -- हर्षोत्कर्षाय भव्यानां भूयाद् भूयोऽप्यदस्ततः // 3 // अस्ति स्वस्तिपदं लोके जम्बूद्वीपेऽत्र भारतम् / क्षेत्रं प्रभारतं नाम्ना धाम्ना पूर्णमनारतम् / 4 / कृतप्रसादप्रासादध्वजच्छायहतातपम् / जाडयहारि विहारान्तधूपोत्क्षेपणदीपकैः // 5 // जिनचैत्यांर्चनापर्व सुपर्वगणनिर्मितैः / गीतनाटकवादित्रैः पवित्रितदिगङ्गणम् // 6 // धनकोटिधरेभ्यानां सभ्यानां गृहकेतनैः / सपक्षं स्वःपुरं साक्षात् पक्षैर्गन्तुमिवोत्सुकम् / 7 / नगरं नगरम्यश्रीप्राकारपरिभूषितम् / पोतनं नाम सद्वस्तुवास्तवस्तवनोचितम् // 8 // राजा तत्रारविन्दोऽस्ति संयुक्तः प्रबलैर्दलैः / अरविन्द इव श्रीणां निवासः प्रसरद्यशाः // 9 // धारिणीति प्रिया तस्य श्रिया शच्यनुसारिणी / राज्ये शान्तिककर्माऽपि विश्वभूतिः पुरोहितः // 10 // . अनुद्वरा शीलधुरा पुरातनसतीसमा / तत्कान्ता कमठः पुत्रो मरुभूतिस्तथाऽनयोः // 11 // कमठस्य वधूर्नाम्ना वरुणासीत् सुलक्षणा / वसुन्धरा मरुभूतेः क्षमयाऽसौ वसुन्धरा // 12 // अथ श्रीविश्वभूतिस्तु कमठे न्यस्य सद्दिने / गृहमारधुरं प्राप्ताऽनशनः सुगुरोर्मुखात् // 13 //
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