Book Title: Laghu Trishashti Shalaka Purush Charitam
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

Previous | Next

Page 304
________________ 278 ] महोपाध्यायश्रीमन्मेघषिजयविरचितम् [ श्रीपार्श्व यक्षेण रक्षसा काल्या यक्षिण्या समहोत्सवम् / नीतः कुमारोऽप्युद्याने समित्रश्चैत्यमाचिचत् // 132 // सङ्गत्य पित्रा पुत्रोऽयमभिषिक्तो निजे पदे / / जिनशासनशोभाकृद् दीक्षयाऽऽप पदं शिवम् // 133 // धर्म कर्ता कारयिता प्राप्नोति बहुसम्पदः / यशस्यं तस्य संस्मार्य साम्प्रतं नाम साम्प्रतम् // 134 // मुक्त्याहितमनाः शुद्धस्थिरधीगुरुभक्तिभाक् / हस्तिरूपसुरासेव्यो भीमो विजयतां जने / 135 / // इति भीमकथा / / हिंसावचोऽपि चन्द्रायाः पुत्रस्य वातिदुःखदम् / वसुराजे मृषावाक्यं चौर्यचर्या महाबले / 136 / तुर्यव्रते सुन्दराख्यः भूमिजातेनिदर्शनम् / परिग्रहप्रमाणे च धनसारवणिक्कथा // 137 // पात्रदाने कुबेरं च निदर्य विरते मुनौ / हृष्टः किरणवेगस्तं प्रशशंस महामुनिम् // 138 // विरक्तात्मा निजं धाम जगाम काममुन्मनाः / / संन्यस्य तनये राज्यं स्वयं दीक्षामुपाश्रयत् // 139 // गीतार्थीभूय देशेषु विहरन् जनबोधनः / नभश्वारी जिनानन्तुं पुष्करद्वीपमभ्यगाव // 140 // शाश्वताहतबिम्बानि नत्वा वैताढयपार्श्वगे / __हैमशैले प्रतिमया स तस्थौ स्वस्थमानसः // 141 // कुक्कुटाहिर्नरकतः संजज्ञे भीषणोरगः / दृष्ट्वा किरणवेगं तं चुकोप तदने भ्रमन्. // 142 // ददंश बहुषु स्थानेष्वयं मात्सर्यदुर्दशः / ऋषिर्दध्यावयं मेऽभूत् सहायः कर्मभेदने // 143 / / क्षमयित्वाऽखिलान् जीवान् नमस्कारं स्मरन् सुधीः / द्वाविंशत्यर्णवायुः स सुरोऽभूदच्युते दिवे // 144 // स्थानं जम्बूद्रुमावर्ताख्यानं विमानमस्य तत् / सोऽप्यहिर्दग्धवान् वह्नौ ययौ धूमप्रभावनीम् // 145 // इति श्रीलघुत्रिषष्ठीये भगवत्पार्श्वचरिते तुर्यपश्चमभववर्णनम् // जम्बूद्वीपान्तरे प्रत्यगविदेहे विजये वरे / सुगन्धिनाम्ना नगरी गरीयः श्रीशुभङ्करा // 146 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376