Book Title: Laghu Trishashti Shalaka Purush Charitam
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
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________________ 312 ] महोपाध्यायश्रीमन्मेघविजयविरचितम् [ श्रीवर्धमान प्रतिमायां स्थितं नाथं दृष्ट्वा पुष्पो निमित्तवित् / पुस्तकं प्रक्षिपन्नीरे स शक्रेण समाहितः // 149 // मोराके प्रतिमालीने प्रभौ कथयति स्म सः। सिद्धार्थोऽनागतातीतभावान् पूजाकृतेऽर्हतः // 150 // द्विष्टेनाऽच्छन्दकेनाऽपि तृणं छेत्स्यति नेति वा / प्रश्ने सिद्धार्थवचने छेत्स्यत्यतः स चाकुपत् // 151 // छेदोद्यतेऽस्मिन्नगुलिका छिन्नाश्चौरोऽयमित्यवक् / जनैः पृष्टोऽथ सिद्धार्थस्तानुवाच निशम्यताम् // 152 // वर्तुलं वीरघोषस्य पात्रं कर्मकृतो हृतम् / ___ खर्याः स्थापितमधोलोकनिष्काशितं तु तत् // 153 // द्वितीयचौर्यमेतस्य य इन्द्रशर्मणो हुडः / व्यापाद्य भक्षितोऽस्थीनि तानीक्षन्तां बदर्यधः / 154 / तृतीयमपवादं तु भार्याऽस्यैव प्रवक्ष्यति / जनैः पृष्टा प्राह भोक्ता स्वस्य विहाय माम् // 155 // ततः श्वेताम्बिकामार्गे कनकाच्च खलाश्रमे / सर्पप्रबोधाय जिनो जगाम ग्राम्यवारितः / 156 / प्राग्भवे क्षपकः कश्चित् पारणार्थ व्रजन् पथि / तत्पादाहतमण्डूक्याः स्मारणां क्षुल्लको जगौ // 157 // . क्रुधा धावस्तनिहत्यै स्तम्भास्फालनतो मृतः / ज्योतिर्देवेषु चोत्पद्य च्युतोऽतस्तापसोऽभवत् // 158 // कदाचिद् धनपुष्पादिग्राहि बालेषु पृष्ठतः। धावन्नवटपाते स्वपशुना भुजगोऽभवत् // 159 // प्रतिमास्थं प्रभुं पश्यन् क्रुधा सूर्याभिलोकनात् / विषज्वालां मुमोच द्राक् तद्वैफल्येऽदशत् पदे // 160 // धवलासृविनिर्याते विस्मिताय जिनोऽवदत् / ___ चण्डकौशिक ! बुद्धयस्वेत्युक्त्यायं जातिमस्मरत् // 161 // ततः प्रबुद्धः स्वबिले न्यस्तास्योऽनशनी शनैः / पीडथमानः कीटिकाभिः सेहे देहे फणी व्यथाम् // 162 // सहस्रारे ययौ पक्षप्रान्तेऽर्हद्ध्यानधारणात् / ययावुत्तरवाचालनगर्यामर्यमाचितः // 163 //

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