Book Title: Laghu Trishashti Shalaka Purush Charitam
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha
________________ चरितम् / लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् [329 गुप्तवृत्त्याऽन्यदा चण्डप्रद्योतं चरमानवात् / आयियासुं निशम्याशु पूर्वमेवाभयोऽभ्यधात् // 424 // स्थले सैन्यनिवेशस्य पटावासेषु भूभुजाम् / धनन्यासेन भिन्नत्वात् प्रद्योतो ववले स्वतः // 425 // नश्यतः सर्वसैन्यस्य रथाश्वेभधनादिकम् / शीघ्रं राजगृहेशेन जगृहे जयशालिना // 426 // रुषा श्राद्धीमिषात् पण्याङ्गना मुक्ताऽभयग्रहे / तास्तपोभिर्जपैः पूजाविधानोहमादधुः / 427 / भोजनान्तश्चन्द्रहासमदिराविवशोऽभयः। प्रतियोजनमश्वानामारोहैः प्रापितो नृपम् / 428 / धर्मव्याजात् समानीतं स मानी तं विलोक्य ताम् / धिक्कृत्य प्राक्षिपत् काष्ठपश्चरेऽभयमन्त्रिणम् // 429 // एकदा भृगुकच्छस्थैलोंकैः शम्बलके विषम् / क्षिप्तं दूतोऽपि भुञ्जानो वारितः शकुनैरिति / / 430 // लोहजवस्तु तद्वृत्तं प्रद्योताय न्यवेदयत् / पृष्टस्तेनाऽभयः प्रोचे द्रव्ययोगेऽहिसम्भवम् // 431 // नोद्घाटयं शम्बलस्थानं तन्मोच्यं विजने वने / / हविषा हि दृशा नो चेद् धक्ष्यत्युद्घाटको नरः // 432 // बुद्धयाऽभयस्य दूतोऽयं रक्षितो लोहजंघकः / - अवन्तीशः प्रसद्याऽवग् विना मोक्षं वरं वृणु // 433 // कोशेऽस्तु मे वर इति प्रद्योतं प्राह चाऽभयः / अथांगारवती पुत्री प्रद्योतस्य प्रिया भृशम् / 434 / नाम्ना वासवदत्ता सा तस्याः कलागुरुः कुतः / . आनेय इति भूपेन पृष्टोऽवोचत् ततोऽभयः // 435 // ईदृग् नृपोऽस्त्युदयनो गजग्राही स गीततः / ___ कूटहस्तिमिषाद्ध्वा स ह्यानेयस्त्वया भटैः // 436 // कारितः कूटकरटीकिलिजैः पटुबुद्धिभिः / ___ खादन् पयः पिबन् गर्जन् चलन् मध्यस्थपूरुषैः // 437 / / 'ल. त्रि 42
Page Navigation
1 ... 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376