Book Title: Laghu Trishashti Shalaka Purush Charitam
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 329
________________ चरितम् ] लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् भृत्यः कृत्यविधौ नृत्यन् ग्रामणीषु दिवामणिः / नयसारो यथार्थाह्वः सवने' स वने ययौ // 9 // सार्थाद् वियुक्ताः श्रमणाः भ्रमणात् क्रमणार्दिताः / अनेनसानेन भोज्यव्रतिनः प्रतिलाभिताः // 10 // सोपस्कारं नमस्कारं स्पष्टाऽष्टापष्टिवर्णिनम् / तेभ्यः प्राप्य ससम्यक्त्वोऽसौ सौधर्मसुरोऽभवत् // 11 // ततश्च्युत्वाऽत्र भरते भरतेशस्य नन्दनः / मरीचिर्वीचिमुत्सृज्य भवाब्धेतमाददे // 12 // पूर्वमुग्रविहारेणाऽवसनीभूय संबधीः / दुलिङ्गमाश्रयद् दण्डत्रयमुत्सूत्रनिर्भयः // 13 // विना लोचं द्विधा शौचं स्नाने पाने च पाथसा / कुर्वाणः प्राणसौरख्यायाऽग्रहीदप्रासुकं पयः // 14 // सकषायत्वबोधाय कषायवसनः शिखी / शिखी वाणुव्रतीत्येव धिया नृत्यमसाधयत् // 15 // अन्यदा भरतोऽपृच्छद् भगवन्तमिहादिमम् / कोऽप्यस्यां भरते भावी सभायां तीर्थकृत्प्रभो ! // 16 // प्रभुरप्याह पुत्रस्ते मरीचिश्वरमो जिनः / भविष्यति महावीरः श्रुत्वेत्युत्तस्थिवान् नृपः / 17 / आद्योऽर्द्धचक्री भरते चक्री विदेहसम्पदे / ..' भावी गुरुवीरनामा पश्चिमोऽपश्चिमोऽर्हताम् // 18 // ननर्त तद्वचः श्रुत्वा कुर्वन् जातिमदं तदा / बबन्ध नीचैर्गोत्रं तत् कर्मभोग्यं भवोदधौ / 19 / भाविनाऽस्यैव शिष्येण कपिलेन यदोदितम् / प्रबोध्य दीयते शिष्यस्तत किं धर्मोऽत्र नास्ति वः // 20 // ततो मरीचिरप्यूचे धर्मोऽस्त्यत्रापि तत्र च / वाचानया कोटि कोटि प्रमिताधिर्भवोऽभवत् // 21 // उत्सूत्रं चेतसाऽप्येतदनालोच्य स पश्चमम् / - स्वर्ग लेभे दशान्ध्यायुर्मरीचिः कपिलोऽपि सः // 22 // 1 सवने सजले। 2 अनेनसा पापरहितेन /

Loading...

Page Navigation
1 ... 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376