Book Title: Laghu Trishashti Shalaka Purush Charitam
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 325
________________ चरितम् ] लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् [ 299 क्षितिप्रतिष्ठितेऽभ्यागात् पिता पुत्रेण संयुतः / नृपस्य मीलने प्राग्वत् पुरोधा अभ्यधान्नृपम् // 446 // पश्यस्तं भूपतिः प्रोचे कोऽयं रूपपुरन्दरः / पित्राऽवाचि सुतोऽयं मे सोऽस्त्वासेचनको हि नः // 447 // आनन्दयामि त्वां नन्दनन्दनस्याऽभिनन्दनात् / इत्युक्ते भूभुजाऽभाणीद् वनराजं स केशवः // 448 // पुत्र राजवचोऽलध्यं निर्जीवोऽहं त्वया विना / दिनानि कानिचित् तिष्ठाऽप्यधृति मा कृथा वृथा // 449 // तं समाश्वास्य देशस्य नरेशः स्वामिनं व्यधात् / नरेशवत् केशवोऽपि बहु प्रेषयते धनम् // 450 // राज्ञा कश्चन सामन्तं निग्रहीतुं निजात्मजम् / प्रेषितं नरसिंहाख्यं श्रुत्वाऽशक्तं महीधवः // 451 // वनराजं तदालेखात् तत्कार्याय न्ययोजयत् / सैन्यद्वयसमावेशाद् देशाद् दुर्गाद्रिषु व्रजन् // 452 // वनराजेन जगृहे जज्ञे जयजयारवः / तेजोऽने जनमे' तस्य राज्ञाऽपि मुमुदेतराम् // 453 // अथाऽस्य तेजः संसोढुमक्षमः स हि राजसूः / . लेखद्वाराऽपराधांश्चाऽऽज्ञापयद् भूभुजे तदा // 454 // प्रत्यादिष्टं विषं देहि मा सन्देहि किमप्यहो। एवं लेखं दूतहस्ते दत्त्वा प्रेषीत् तकं नृपः // 455 // दूतं यक्षालये सुप्तं मत्वा लेखान्तरे तथा / वर्णाली च विषा देयेत्यालिलेख विपर्ययात् // 456 // लेखमुन्मुद्रथ तान् वर्णान् दृष्ट्वा स्वां च विषां ततः / वनराजं समुद्दिश्य स्वसारं पर्यणाययत् // 457 // . तच्छ्रुत्वाऽन्तः क्रुधा भूमांस्तयोरागममादिशत् / . सैन्ये प्राप्ते पुरं प्रोचे वनराजं रहःस्थितम् // 458 / / 1 अनेजनं निष्कम्पम् /

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