Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 15
________________ कविवर जान और उनके ग्रन्थ दूसरे उपवर्गकी रचनाएं - १. निर्मल, र. सं. १७०४ माघ, छन्द वही, दोहा १३, निर्मलको सतीत्व रक्षाकी कहानी । २. सतवंती, र. सं. १६७८, छन्द वहीं, दोहा ५२, सतवंतीकी रक्षाकी कहानी । ३. तमीमअनसारी, र. सं. १७०२, चौपाई १५०, तमीम अनसारीके पत्नीकी सतीत्व रक्षाको कहानी। ४. शीलवती, र. सं. १६८४, छन्द वहीं, दोहा २५, शीलवतीको सतीत्व रक्षाकी कहानी २ दिनमें रचित । ५. कुलवंती, सं. १६९३ पौष, छन्द वही, दोहा ४७ कुलवंतीकी सतीत्व रक्षाकी कहानी । स्वतन्त्र कहानियां१. वसृकिया विरही, र. सं. १६८६, चौपाई १२८, एक दिन में रचित, ईश्वर-प्रेममें पागल घकिया विरहीके एक लोभीके उद्धारकी कहानी । २. भरदेसरकी कहानी, र. सं. १६९०, दोहा-चौपाई, दोहा २३, दो प्रहरमें रचित । मुक्तक शृगार वर्णन, १. वर्णनात्मक, २. रीति काव्य वर्णनात्मक - १. यारहमासा, र. सं. अज्ञात, सवैया १५, वियोग श्रृंगारका बारहमासा । २. ग्रन्थ बरवा, र. सं. अज्ञात, बरवा ७०, संयोग-वियोग षट् ऋतु वर्णन । ३. पट् ऋतु बरवा, र. सं. अज्ञात, बरवा २२, पेट ऋतु वर्णन । ४. पट् ऋतु पवंगम, र. सं. अज्ञात, पवंगम पृ. २. षट् ऋतु वर्णन । (विशेषता-अंत पदोंको श्रेकवरण जौ मारि। तौं वरवा सब है हैं मढे विचारिश्रे) ५ धुंघटनामा, र. सं. अज्ञात, दोहा चौपाई ४, पृष्ठ, यौवन व धंघटका वर्णन । ६. सिंगार-सत, र. स. १६७१, दोहा १०१, स्त्रियोंके श्रृंगारका वर्णन, ३ दिनमें रचित । ७. भावसत, र. सं. १६७१, पृष्ठ ६, श्रृंगार रस, २ दिनमें रचित । ८. विरहसत, र. सं. १६७१ दोहा, १००, वियोग शृंगार, ५ दिनमें रचित । ९. दरसनामा, र. सं. अज्ञात, चौपाई २१ "घूघट खोल दरस परसाब"। १० अलोक नामा, र. सं. अज्ञात, चौपाई २३, अलकोंके सौंदर्यका वर्णन । ११. दरसन नामा, र. सं. अज्ञात, चौपाई ३३।। १२. बारहमासा, र. सं. अज्ञात, पृष्ठ २, फुन्निग छन्द । १३. प्रेमसागर, र.सं. १६६४, दोहा २६४, प्रेममहिमा। १४. वियोगसार, र. स. १७१४, दोहा, सवैया, पृष्ठ १६, विरह-वर्णन । १५. कन्द्रफकलोल, र. सं. अज्ञात, कवित्त सवैया, पृ० ३२, शृंगाररस मुक्तक छन्द । प्रतिमें

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