Book Title: Kyamkhanrasa
Author(s): Dashrath Sharma, Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 14
________________ क्याम खां रासा-भूमिका ४. नल-दमयंती, र. सं. १७१६, छन्द वही, विस्तार, १४६ दोहे । ५. पुहुप वरिषा. र. सं. १६७८, छन्द वही, पृष्ठ २७ (१७२ चौ.) राजकुमार पुरुषोत्तम व सुकेसीके प्रेम और विवाह से सम्बन्धित है। ६. कलावती, र. सं. १६९६, छन्द वही, दोहे २०४ (१२ दिनमें रचित) (रावत सारस्वतके लेखानुसार चौ. २०७) ७. छवि-सागर, रचना सम्वत् १७०६, छन्द वही, दोहा १६ (राजा जैत एवं राजकुमारी छविसागरकी प्रेमकहानी) ८, कामलता, र. सं. १६७८, छन्द वही, दोहा ३२ (हंसपुरीके राजा तथा कामलताको प्रेम कथा है ) हिन्दुस्तानीमें पूर्ण और कुछ अंश सूफी काव्य संग्रहमें प्रकाशित । ९. कलावती, र. अस्पष्टता, छन्द वही, दोहा ३६ (पुरन्दर और कलावतो प्रेमकथा) (रावत सारस्वतानुसार दोहा ३६, चौपाई ३६, छन्द १२, सोरठा २, र. सं. १६७६, दो प्रहरमें रचित) १०. छीता, र. सं. १६९३, कार्तिक सुदी ६, छन्द वही, दोहा ३७ । कुछ अंश सूफी काव्य संग्रहमें प्रकाशित । ११. रूपमंजरी, र. सं. १६९४ छन्द वही, दोहा १२२, ज्ञान एवं रूपमजरीकी प्रेमकथा। १२, मोहिनी, र. सं. १६९४, मि. सु. ४, छन्द वही, पद्य १२२, ३ प्रहर में रचित । १३. चन्द्रसेन शीलनिधान, र.सं. १६९१, छन्द चौपाई, दो. १८, प्रहर में (रावत सारस्वतानुसार ढाई प्रहर में) रचित ।। १४. कामरानी पीतमदास, र. सं. १६९१, छन्द वही, दोहा १२, सवा दो प्रहर में रचित । १५. कलन्दर, र. सं. १७०२, छन्द वही,पृ. २. १६. देवलदेवी खिजखां, र. सं. १६९४, छन्द वही, दोहा ८५, प्रसिद्ध उपाख्यान । १०. कनकावती, र. सं. १६७५, छन्द वही, दोहा ८१, राजा भरतके पुत्र परमरूप और कनकावतीकी प्रेमकहानी, ३ दिन में रचित । १८. कौतूहली, र. सं. १६७५, छन्द विविध, पृष्ठ ३३ (चन्द्रसेन एवं कौतूहलीकी प्रेमकथा) १९. सुभटराई, र. सं. १७२०, छन्द दोहा चौपाई, दोहा ६० (सूरजमलके पुत्र सुभटराई एवं राजकुमारीकी प्रेमकहानी) २०. मधुकरमालती, र. सं. १६९१, फा. व. १. छन्द वही, पृष्ठ २६, कुछ अंश सूफीकाव्य संग्रहमें प्रकाशित । २१. बांदी नामा, रचनाकाल अज्ञात, छन्द वही, पृष्ठ ४, (किसी मियांका क्रीतदासीसे अनुचित प्रेम, प्रेमकथाके ढांचेसे भिन्न ।

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