Book Title: Keet Patango ki Ascharyajanak Baten
Author(s): Rajnish Prakash
Publisher: Vidya Vihar

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Page 15
________________ अनेक कीटो का शरीर छूने लायक नहीं होता। उन्हें देखकर हम डरते हैं या घृणा करते हैं। जैसे हमारे घरो मे जबरन निवास करनेवाला कीट 'कॉकरोच' किसी को भी प्रिय नहीं होता। कीटों मे हड्डियाँ नही होती। उनकी खाल ही उनके शरीर के ढाँचे का काम करती है। ये दोनो कीटो की अपनी विशेषताएँ हैं। कई कीट एक प्रकार के पतले खोल के भीतर रहते हैं, जैसे भुनगियाँ आदि । भृग नामक कीट भी भारी-मोटी खाल के अदर रहते हैं। यह देखने मे कवचनुमा होती है। कीट किस प्रकार सॉस लेते है ? कीटो का अध्ययन करने के लिए सूक्ष्मदर्शी यत्र की आवश्यकता होती है। M अधिकाश कीटों की बगल मे इनकी गोल आकार की एक पक्ति होती है, जो रेल की खिडकियो के समान लगती है। ये इनके सांस लेने के छेद होते हैं। स्पर्श, गध और स्वाद का अनुभव किस प्रकार करते है ? कीटो के शरीर में पतले बाल होते हैं, जो बहुधा उनके 'कवच' से बाहर निकले होते हैं तथा सामने की ओर हवा में लहराते से रहते हैं। उनमें नन्हे गड्ढे और जेवें भी होती हैं। ये बाल तथा गड्ढे ही इनके सूंघने, छूने और स्वाद आदि में सहायक होते हैं। 140कोट पतग की अश्चर्यजनक बातें

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