Page #1
--------------------------------------------------------------------------
________________
Barcode: 99999990063414
Title - Keet Patangon Ki Ashcharyajanak Baaten
Author - Rajneesh Prakash Language - hindi
Pages - 73
Publication Year 1960
Barcode EAN.UCC-13
9999999 006341
Page #2
--------------------------------------------------------------------------
________________
.
कीट-पतंगों की आश्चर्यजनक बातें
J
an
"
"
a
)
25
hey
LATEG
VIRUST
.
रजनीश प्रकाश
Page #3
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रकाशक विद्या विहार, 1685 कूचा दखनीराय दरियागज नई दिल्ली-110002 सर्वाधिकार सुरक्षित । सम्करण प्रथम 1991 । मूल्य चालीस रुपए NEET PATANGOV KI ASHCHARYAJANAK BAATCN by Rajneesh Prakash Printer Graphuc Horld New Delhi 2
Rs 4000
Page #4
--------------------------------------------------------------------------
________________
कितने प्रकार के होते है कीटेर
कहा
ससार मे कितने प्रकार के कीट पाए जाते हैं, यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता।
कुछ वैज्ञानिको का मत है कि इनकी सख्या 10,00,000 (दस लाख) है। दूसरी ओर कुछ वैज्ञानिक इनकी सख्या का अनुमान सत्तर से अस्सी लाख के बीच मानते हैं।
एक ही जाति या नस्ल के कीट अनेक प्रकार या रूप-रग मे मिलते हैं, इसलिए इनकी सही-सही सख्या बता पाना कठिन ही है।
कीट और पतगो में इतनी अधिक विचित्रताएँ बसी हुई हैं कि उन्हें देखकर तथा पढकर हम आश्चर्यचकित रह जाते हैं। आइए, कीटो के बारे में ऐसी ही आश्चर्यजनक बातो को जाने।
60
कीटों की ऑखे कितनी ? र कीटो की दो ऑखें नही हुआ करती, बल्कि एक से जुडी हुई बहुत-सी छोटी-छोटी आँखें होती हैं, जिन्हे फलिकाएँ कहते हैं।
चीटी जैसे छोटे-से प्राणी की प्रत्येक आँख में पचास से भी अधिक फलिकाएँ होती हैं। वैज्ञानिको का मत है कि घरेलू मक्खियो की 4,000 फलिकाएँ होती हैं। आप
कीट पतंगों की आश्चर्यजनक बातें 03
Page #5
--------------------------------------------------------------------------
________________
यह जानकर आश्चर्यचकित रह जाएँगे कि कुछ प्रकार के पतगो की पचास हजार फलिकाएँ होती हैं।
कीटो की एक विशेषता यह होती है कि वे अपनी गरदन घुमाए बिना देख सकते है । ऐसा वे अपनी फलिकाओ के कारण ही कर पाते हैं। वैज्ञानिक आज भी कीटो की आँखो तथा उनकी कार्य-पद्धति पर खोज करने में लगे है।
आइए, इनके निवास स्थान से परिचित होइए
बर्र जाति के कीट मिट्टी से अपना निवास-स्थान बनाते हैं। इनके अडे मिट्टी से ढके होते हैं।
एक प्रकार की मक्खी मच्छर को पकड़कर उसके ऊपर अपने अडे देती है। यह मच्छर जब किसी मनुष्य या अन्य प्राणी को काटता हे तो उसके कीटाणु भी उस प्राणी के अदर प्रवेश कर जाते हैं।
$
4 कीट पतंगों को आश्चर्यजनक बातें
Page #6
--------------------------------------------------------------------------
________________
+
-
-
प्रा
कीटो का निवास स्थान सब-जगह है। अधे सफेद ‘झींगुर' गहरी गुफाओ मे मिलते हैं। स्प्रिंग टेल नामक कीडे हिम-प्रदेश तक मे मिलते हैं। हिमीप्रदेशों मे ये. सूर्य-किरणो को सोखकर जीवित रहते हैं।
RTI अनेक कीट झरनो के पास रहना पसद करते हैं। मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल पचमढी मे एक सुदर स्थान है-'बी फाल' । यहाँ मधुमक्खियों के छत्ते बर्डी मंत्री में - हैं, इसलिए इस पर्यटन-स्थल को 'बी फाल' यानी मधुमक्खियो के निवासवाला झरना ही कहा जाता है।
कुछ कीट तालाबो मे रहते हैं। अनेक प्रकार के कीट पौधो के तनो को अपना आवास बनाते हैं। कई कीट जन्म लेने के बाद एक-दो फुट भी ऊँचा नहीं उडते, जबकि अनेक प्रकार के कीट आकाश में उडते हैं।
शल्क कीटो की यह विशेषता होती है कि वे अपना स्थान नही बदलते, यहाँ तक कि वे बहुत कम हिलते-डुलते हैं।
-RIES ARESULT
LAN
NE
JO
कई प्रकार के कीट कालीनो और गद्दियो जैसे स्थानो को अपना निवास-स्थान बनाते हैं। इनमे 'खटमल' प्रसिद्ध हैं।
कई प्रकार के कीटो को कुरसिया आदि प्रिय होती हैं। ये वहाँ छिपकर रहते है।
कीट-पतगों को आश्चर्यजनक बातें 05
Page #7
--------------------------------------------------------------------------
________________
कुछ प्रकार के कीट अनाज के भडार मे, चाहे वह छोटा हो या बडा, अपना निवास स्थान बनाते हैं। गेहूँ में लगनेवाला कीट 'घुन' कहलाता है। चावल में लगनेवाला कीट ‘सुरसुरी' कहलाता है। इसी प्रकार चने में लगनेवाला कीट 'इल्ली' कहलाता है, जो इन सबसे अलग है।
RINEW
ORD
A
कीट अपने बच्चों की सुरक्षा का स्थान खूब जानते है
कीटो की सख्या जब सत्तर से अस्सी लाख मानी जाती है तो निश्चित ही यह कठिनतम काम होगा कि आप इनके अडो को गिन सके। इनकी सख्या तो करोडो-अरबो मे हो सकती है। फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि कीट अपने अडो को बचाए रखने के अनेक उपाय जानते हैं और अपने अडो को बचाए रखने में वे सफल भी होते हैं।
ANG
Swa
h
WARNIJAal
S
unt
6 D कीट पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Page #8
--------------------------------------------------------------------------
________________
कुछ प्रकार के मादा कीट अपने अडो को धरती के अदर छिपा देते हैं। टिड्डे अपने अडे भूमि पर देते हैं । तिलचट्टे अपने अडे ऐसे कोनो मे देते हैं जो बहुत सुरक्षित स्थान होते हैं। चींटियाँ और दीमक अपने अडे बॉबियो मे देती हैं। इनके अडे देने के स्थान को 'बॉबी' कहा जाता है ।
मछलियाँ अपने अडे लसलसे पदार्थ में देती हैं ताकि वे सुरक्षित रहे। इसी प्रकार कुछ कीट एक प्रकार के द्रव पदार्थ में अपने अडे देती हैं।
अनेक प्रकार के कीट अपने अडे वृक्षो के खोल या खोह मे सुरक्षित रखते हैं । आपने बर्र का अडो से भरा घर देखा होगा । उस पर तो मिट्टी की खोल - सी चढ़ी होती है ।
ठड से बचाने के लिए अनेक कीट अपने अडो पर मोमरूपी कवच चढा देते हैं ताकि वे नष्ट होने से बच जाएँ। अनेक कीट अपने अडे वृक्षो की छाल में छिपा देते हैं, ताकि न कोई शत्रु उन्हे देख सके, न नष्ट कर सके ।
मक्खियाँ अपने अडे कूड़े-करकट पर देती हैं, जहाँ पहुँचना भला कौन पसद
करेगा
खटमल अपने अडे खटिया, पलग आदि पर देते हैं, परंतु उनके अडे देने के स्थान बहुत छोटे और सुरक्षित होते हैं।
जूँ अपने अडे बालो मे चिपका देती हैं।
00
कीट-पतंगों को आश्चर्यजनक बातें 7
Page #9
--------------------------------------------------------------------------
________________
ऐसे अनेक कीट हैं, जो अपने अडे कपडो और बिस्तरो आदि पर देते हैं। वे वहीं पैदा होते हैं और वही बढकर अडे देते हैं। इस प्रकार यह क्रम चलता ही रहता है ।
कीटों के घर भी अद्भुत होते है
मधुमक्खियों का छत्ता अनुशासन का घर कहा जा सकता है। देखने मे यह ast ही विचित्र लगता है। इसके अलावा बर्र का 'घर' और दीमक की 'बॉबियाँ' भी देखनेलायक और आश्चर्यजनक होती है। झाग मक्खी, जिसे 'फॉग हॉपर' कहा जाता है, का घर भी अद्भुत होता है। इसे 'बुदबुद' घर की सज्ञा दी जाती है। इसका घर घास की पत्तियो पर होता है।
अनेक कीट रेत मे अपना घर बना लेते हैं। 'चींटी व्याध' नामक कीट सूखे रेत मे गड्ढा बनाकर बैठते हैं और 'भोजन' के भटककर आते ही उसे चटकर जाते हैं। कोटो मे मकडियो का घर उनके द्वारा बनाया गया जाला होता है, जिसमें वे आराम से रहती हैं और अपने शिकार को फॅसाकर खाती हैं।
s/a
00
कुछ कीटो का घर वृक्ष के कोटर या खोल होते हैं, तो कुछ का घर पत्तो के नीचे या ऊपर होता है ।
8 कोट पतों की आश्चर्यजनक बर्त
Page #10
--------------------------------------------------------------------------
________________
आप जानकर आश्चर्य करेगे कि मकडी के समान कुछ इल्लियाँ भी जाला बनाती हैं और उनमें अपना शिकार फंसाती हैं।
कुछ कीट अपने अडो या बच्चो के ऊपर जाला-सा बुन देते हैं। उनके बच्चे तथा अडे आदि उसी में सुरक्षित रहते हैं।
एक विशेष प्रकार का कीट पत्तियो से खनके तैयार करता है, जिसे अग्रेजी भाषा में 'लीफ माइनर्स' यानी पत्तियो से बनाई गई 'खनक' कहा जाता है। किसी समय लोग इसे 'भूत घर' भी कहते थे। ____ जो कीट गुफाओ को अपना घर बनाते हैं, वे वहॉ सदा सुखी रहते हैं, क्योंकि गुफाओ के तापमान में परिवर्तन नहीं हुआ करता।
andir
M
ometer
सरी
कीट-पतगों की आश्चर्यजनक बातें 49
Page #11
--------------------------------------------------------------------------
________________
f
हम यह जानते ही हैं कि पक्षियो के 'पर' उनके शरीर को गरम बनाए रखने में बडी सहायता पहुँचाते हैं ।
ठंड के दिनो मे ऐसा कौन सा प्राणी होगा, जो अपनेआपको 'असुरक्षित' महसूस न करता हो, परतु मधुमक्खिया अपने छत्तो मे इन कठिन दिनो में भी आराम से अपने काम मे लगी रहती हैं। एक विशेष प्रकार की मधुमक्खियों लकडी में बिल बनाकर रहती हैं, इन्हे 'बढई मधुमक्खी' कहा जाता है। हम इन्हें 'कागज बर्र' कहते हैं । इनके छत्ते को किसी भी बड़े भवन मे आसानी से देखा जा सकता है। कभी-कभी ये हमारे पास मॅडराती भी रहती हैं।
यह भी आश्चर्यजनक है कि बर्र और ततैया ससार के सर्वप्रथम 'कागज निर्माता' कहे जाते हैं। जिस प्रकार पक्षियो से मानव ने हवा में उड़ने की प्रेरणा ली और हवाई जहाज बनाया, उसी प्रकार से मानव ने कागजी बर्र तथा ततैया से कागज बनाने की प्रेरणा ली होगी ।
आज भी ये लकड़ी को पीसकर और अपने मुँह की लार मिलाकर कागज-सी वस्तु तैयार करती हैं।
10 कोट पतंगों की आश्चर्यजनक बातें
Page #12
--------------------------------------------------------------------------
________________
भन्
पानी के कीट नहीं है, फिर भी ... कुछ कीट पानी के कीट न होकर भी पानी मे अपने अडे देते हैं। इनमें मच्छर आदि अनेक प्रकार के कीट आते हैं। मादा क्यूलेक्स मच्छर मैथुन क्रिया के पश्चात अडे देती है। अडे देने के लिए उसे स्थिर जल की आवश्यकता होती है। इस कारण वह अपने अडे छोटे-मोटे गड्ढो, जहाँ पानी का ठहराव हो, मे देना ठीक समझती है। इसके अलावा कीट तालाब, पोखर, नाली, गटर, यहाँ तक कि पानी से भरे बरतन में भी अपने अडे देते हैं।
CASunita
26
इनके अडो की सख्या 300 तक होती है। ये अडे एक-एक करके दिए जाते हैं। वे अपने अडो को अपनी पिछली टॉग से मिलाकर एक कर देती हैं, जिसे हम 'अडो का बेडा' कहते हैं। ये अडे 24 से 72 घटो में मच्छरो को जन्म दे देते हैं। पानी के कीट पानी मे अपने अंडे किस प्रकार देते है ?
तीतरी नामक कीट पानी के ऊपर ही अपने अडे देते हैं। मादा तीतरी अडे देने के लिए पानी के नीचे भी जाती है।
पानी के 'मत्कुण' नामक कीट पानी में अडे देते हैं। इन अडो की रक्षा नर करते हैं।
कीट-पतगों की आश्चर्यजनक बातें 011
Page #13
--------------------------------------------------------------------------
________________
अच्छा ही हुआ कि कीट समुद्रों में नहीं पाए जाते
यदि वे समुद्रो मे पाए जाते तो पता नहीं वहाँ भी क्या-क्या जुल्म ढाते । पाठक समझ गए होगे कि कोट समुद्रो मे क्यो नही होते ? इसलिए कि समुद्र का खारा पानी इन्हे 'रास' नही आता । इनका शरीर प्राय छोटा होता है। दूसरे इनका शरीर खारे पानी का आदी नहीं होता या हो सकता, यह इस पानी मे गल या सड जाता है ।
हॉ, ये सैर-सपाटे करते हुए समुद्र के किनारो तक अवश्य पहुँचते हैं। इससे आगे जाना उनके जीवन के लिए 'खतरनाक' होता है
12 कीट पतणो की आश्चर्यजनक बातें
Page #14
--------------------------------------------------------------------------
________________
अंडजों का जन्म कितने समय मे होता है ?
पक्षियो के समान कीट भी अडज है। इनकी उत्पत्ति अडो से ही होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि टैंट नामक इल्लियो के अडो से बच्चो को जन्म लेने मे दो वर्ष का समय लगता है।
और दूसरी ओर मक्खियो के अडो में से उनके बच्चो को जन्म लेने मे मात्र कुछ ही घटे लगते हैं। कीटो मे मक्खियाँ ऐसी है, जो मल, थूक तथा कूडा-करकट जैसी चीजो पर बैठकर रोग फैलाती हैं। इसलिए मानव इन्हे अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं।
अनेक कीट अपने अडे ठड की ऋतु मे देते है और उनमे से बच्चो का जन्म 'बसत ऋतु' के आसपास होता है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि कुछ कीटो के बच्चे माता के शरीर में ही विकसित होने लगते हैं और शिशु कीट के रूप में जन्म लेते है।
कीटों का शरीर कैसा होता है ? कीटो का शरीर कोमल, आकर्षक और रंग-बिरगा होता है। सब से अधिक आकर्षित करनेवाली 'तितलियाँ' तो आजकल ससार-भर में पाली जाती हैं।
RADUN
bum
कीट-पतगों को आश्चर्यजनक बात 013
Page #15
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनेक कीटो का शरीर छूने लायक नहीं होता। उन्हें देखकर हम डरते हैं या घृणा करते हैं। जैसे हमारे घरो मे जबरन निवास करनेवाला कीट 'कॉकरोच' किसी को भी प्रिय नहीं होता।
कीटों मे हड्डियाँ नही होती। उनकी खाल ही उनके शरीर के ढाँचे का काम करती है। ये दोनो कीटो की अपनी विशेषताएँ हैं। कई कीट एक प्रकार के पतले खोल के भीतर रहते हैं, जैसे भुनगियाँ आदि । भृग नामक कीट भी भारी-मोटी खाल के अदर रहते हैं। यह देखने मे कवचनुमा होती है।
कीट किस प्रकार सॉस लेते है ? कीटो का अध्ययन करने के लिए सूक्ष्मदर्शी यत्र की आवश्यकता होती है।
M
अधिकाश कीटों की बगल मे इनकी गोल आकार की एक पक्ति होती है, जो रेल की खिडकियो के समान लगती है। ये इनके सांस लेने के छेद होते हैं। स्पर्श, गध और स्वाद का अनुभव किस प्रकार करते है ?
कीटो के शरीर में पतले बाल होते हैं, जो बहुधा उनके 'कवच' से बाहर निकले होते हैं तथा सामने की ओर हवा में लहराते से रहते हैं। उनमें नन्हे गड्ढे और जेवें भी होती हैं। ये बाल तथा गड्ढे ही इनके सूंघने, छूने और स्वाद आदि में सहायक होते हैं।
140कोट पतग की अश्चर्यजनक बातें
Page #16
--------------------------------------------------------------------------
________________
-
-
--
Kaifskeyw
भिन्न-भिन्न प्रकार के कीटो के कान भिन्न-भिन्न या दूसरे भागो में भी होते हैं। अनेक प्रकार के कीट शरीर के बहुत-से भागो से सूंघते हैं। इनमें मानवो के समान विकसित कान नहीं होते तथा न ही इनकी मानवो के समान नाक होती है। इनकी सूँघने की शक्ति तेज होती है ।
Ima
कीटों के कान भी कितने विचित्र है?
कई टिड्डो के कान उनके उदर पर होते हैं। इन्हें कान न कहकेर सुनने का छोटा-सा यत्र कहना चाहिए ।
कीटो की यह विशेषता होती है कि ये कपन का अनुभव अपने पैरो के माध्यम से भी कर सकते है । प्रकृति ने इन्हे यह अद्भुत शक्ति प्रदान की है। कैटीडिड नामक कीडा टॉगो पर बने नन्हे 'धब्बो' की सहायता से सुनता है । बहुधा इनका स्वर कटु और कानो को प्रिय न लगनेवाला होता है ।
45
कीट-पतंगों को आश्चर्यजनक बातें 15
Page #17
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीट अपनी उपस्थिति का परिचय कैसे देते है ?
अधिकतर कीटो के उडान भरने पर उनके पखो से 'भन-भन' की आवाज निकलती है। स्वाभाविक है कि कीट जितनी तेजी से उडेगे, यह आवाज भी उतनी ही तेजी से होगी। भारे के पर गुजन करते हुए चलते हैं, मानो कोई छोटा-सा वायुयान उड रहा हो।
एक मजेदार बात यह है कि प्राय कीट का गुजन उसके पेरो से होता है। यह गुजन परो के आपस मे रगड खाने या हिलाकर चलने से भी होता है।
___ आवाज के सहारे ही कीट एक-दूसरे को पहचानते हैं तथा अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं।
D
शरीर को खरोचकर या जबडो को घिसकर भी कीट आवाज पैदा करते हैं। मानवो के समान बोलने का कोई यत्र या कठ इनके पास नहीं होता। बहुधा शत्रु को डराने और प्रेमी को बुलाने के लिए कीट ध्वनियाँ करते हैं।
कीटो का भोजन कितना ऐसा मत सोचिए कि छोटे-छोटे कीट कितना खा पाते होगे। वे प्रतिदिन अपने शरीर के भार के वरावर खा जाते हैं। और यह कम नही होता ।
160का पन का अर्यजनक यन
Page #18
--------------------------------------------------------------------------
________________
न
कीट वनस्पति के अलावा फल, पौधो, ऊन, चमडे, बालदार खाल, लकडी तथा कागज जैसी कीमती वस्तुओ को भी खा जाते हैं। दुनिया मे कीट ही ऐसे होते है, जो सदा 'भूख-भूख' करते है।
जी हाँ, दुनिया में कीट ही ऐसे होते हैं, जो सदा 'भूख-भूख' करते हैं। आप उन्हें जब भी देखेगे, खाते ही देखेगे। इसलिए स्वाभाविक है कि कीट वहाँ पैदा होगे, जहाँ उन्हे उनका भोजन आसानी से मिल जाए।
कुछ कीट ऐसे होते हैं, जो जन्म लेते ही अपने 'भाई-बहनो' तक को खा जाते हैं, क्योंकि ये जन्म से मृत्यु तक भूखे ही होते हैं। बरं आदि को जन्म लेते ही भोजन चाहिए और मादा बर्र उन्हे ऐसे स्थानो पर जन्म देती है, जहाँ भोजन होता है।
अनेक प्रकार के कीटो मे ऐसा होता है कि वे अपने बच्चो को जन्म देने के पहले ही मर जाते हैं, क्योंकि उनका जीवन कुछ ही घटो या दिनो का होता है, अर्थात ऐसे प्रौढ कीट अडे देते हैं और अपना जीवन-काल समाप्त हो जाने के कारण स्वय समाप्त हो जाते हैं। इस प्रकार वे अपने बच्चो का मुंह नहीं देखते तो दूसरी ओर उनके बच्चे भी अपने माता-पिता को नही देख पाते।
__ अनेक कीट ऐसे है, जिनका जीवन-काल लबा होता है, इसलिए ये बाकायदा अपने बच्चो को पालते हैं। इनमे बर्र और मधुमक्खियों, चींटियाँ, दीमक आदि आते हैं। ये बाकायदा अपना घर या बॉबियाँ आदि बनाते हैं और अपने बच्चो का
कीट-पतगों को आश्चर्यजनक बातें 2017
Page #19
--------------------------------------------------------------------------
________________
लालन-पालन करते हैं
मधुमक्खियों के छत्ते मे यदि आप 'शिशुशाला', 'रसोईघर', 'शहद का भडार कक्ष' आदि पाए तो आश्चर्य न कीजिएगा।
errule
मानवो के बाद वनमानुष और चिपाजी सबसे अधिक बुद्धिमान होते हैं । ये बुद्धि और हाथ-पाँव आदि रखते हैं, परंतु ये अपना घर नही बनाते ।
एक और रोमांचक तथ्य
कीट पौधो को खाते है और पौधे कीटो को खाते हैं। घटपर्णी पौधा कीट-भक्षी पौधे के नाम से जाना जाता है। उसकी पत्तियाँ खोखली तथा फूलदानी के समान होती हैं। इसमे एक नन्ही-सी तलेया बनी होती है। कीट इस पानी में गिरकर मर जाता है।
कुछ समय बाद यह पौधा कीटो को अपना भोजन बना लेता है। यह पौधा, मेढको, छिपकलियो तथा चूहो तक को अपना भोजन बनाता है।
सनड्यू, मिल्कवीड नामक पोधे भी इसी प्रकार प्राणियो को अपना भोजन बनाते हैं। कीटो को अपना भोजन बनानेवाले पोधे ओर भी हैं।
18 कोट पतंगों को आश्चर्यजनक बात
Page #20
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीट कितने पुराने ? तिलचट्टो के बारे मे कहा जाता है कि वे 35 करोड साल से पृथ्वी पर हैं। आज पाए जानेवाले अनेक कीट मध्य जीव-काल मे भी थे, यानी 200 लाख साल पहले। बिच्छू पुराने जीव-काल में भी पाए जाते थे, यानी 500 लाख साल पहले भी वे मौजूद थे।
__यह सब जानकारी फासिल्स से मिलती है। जब कीट अपने शरीर की एक प्राकृतिक छाप या नाप छोड़ जाता है, और जब चट्टानो को तोडा जाता है, तो इनका यह रूप देखने को मिलता है, जिसे फासिल्स कहते हैं।
वैज्ञानिको का मत है कि कीटो के फासिल्स 24 करोड वर्ष पुराने तक मिलते हैं। इससे यह ज्ञात होता है कि कीट कितने पुराने हैं।
किसी समय ससार में राक्षसो के आकार के कीट थे। आज उनमें से एक भी जीवित नहीं है।
% 3m
Vatta
.
4
।
कॉकरोच या तिलचट्टे का इतिहास 35 करोड साल पुराना है। इसकी लगभग 35,000 जातियाँ ससार-भर मे पाई जाती हैं। इसकी एक विशेषता यह होती है कि यह अपने शरीर को सिकोड लेता है, अत यह छोटे से छोटे बिल में घुसकर वहाँ
कीट पतगों को आश्चर्यजनक बातें 10 19
Page #21
--------------------------------------------------------------------------
________________
आराम फरमाता रहता है तथा खाने को मिल गया तो मजे से खाता रहता है। यह अपने सिर के बालो की सहायता से बहुत-से कार्य करता है।
वैसलीन जैसे पदार्थ की सहायता से तिलचट्टो के पैर दीवारो पर टिके रहते हैं तथा चिपकते हुए चलते हैं। यही कारण है कि तिलचट्टे दीवार पर उलटे भी चल सकते है और सीधे भी।
हमारे घरो मे रहनेवाले तिलचट्टे किसी काम में नहीं आते, जबकि खेतों मे ये सडे पौधो और वृक्षो को खाकर सफाई का काम करते हैं तथा भूमि को उपजाऊ बनाते
भंग . कितने-कितने छोटे कीटो मे भृग का महत्त्व इसलिए है कि इनकी 2,50,000 से भी अधिक जातियाँ या किस्मे अभी तक खोजी जा चुकी हैं। कुछ भृग तो इतने छोटे होते हैं कि वे शकर या नमक के एक दाने से बड़े नहीं होते।
गोलियाथ भृग केले के बराबर लबा और चौडा होता है। एक अन्य प्रकार के भृग का नाम 'बारहसिगा' भृग है।
बडे-बडे भृगो की विशाल सूंडो को अफ्रीकावासी बकायदा तेल मे तलकर खाते हैं।
MAP
NM
200 पतलको अर्यजना वत
Page #22
--------------------------------------------------------------------------
________________
शी कीट, जो अपने माता-पिता से कभी नहीं मिलते--
आप जानकर आश्चर्य करेगे कि कुछ कीट अपने माता-पिता से कभी नही। मिलते। जब उनके बच्चे अडो से जन्म लेते हैं तो वे जानते हैं कि हमें क्या खाता है। और वह कहाँ मिलेगा?
इसलिए वे जन्म लेते ही अपने भोजन की ओर चल देते हैं। जिस प्रकार मछली को तैरना नहीं सिखाया जाता, उसी प्रकार कीटों को अपना भोजन ढूँढना कोई नहीं सिखाता। उनकी इस आदत को प्राकृतिक या सहज वृत्ति कहा जाता है।
अपनी इसी प्राकृतिक आदत के कारण वे अपने अडो को सुरक्षित रखना तक जानते हैं। प्रकृति ने उनके भोजन की व्यवस्था भी इसी प्राकृतिक क्रम में की है। मलूकदास ने इस सदर्भ में ठीक ही कहा है -
अजगर करे न चाकरी, पछी करे न काम । दास मलूका कहि गए, सबके दाता राम।।
Aunter
-
LALITPUDENTare
Patiaurat
सरकार AMRPAMपाव
M
ZERurfarming
-
-
Kripat
VasataramtOR3)
N
कीट पतगों को आश्चर्यजनक बातें 021
Page #23
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीट भी परागण करते है तितलियाँ 'परागण' का बहुत बड़ा काम करती हैं। यह उपकारी काम माना जाता है। अन्य कीट भी परागण का काम करते हैं।
बीजो के ऊपर कुछ नन्हे-नन्हे हुक होते हैं। ये हुक मक्खी या मधुमक्खी आदि के शरीर के रोमो मे फंस जाते हैं, फिर उडकर कीट के साथ अन्यत्र पहुँच जाते हैं।
कीट अपने साथ बीजो को धरती के अदर तक ले जाते हैं और वे बीज वहाँ जाकर उग आते हैं। आप यह जानकर आश्चर्य करेगे कि कुछ कीटों के शरीर के अदर पौधे भी हो सकते हैं। बैक्टीरिया तत्त्व इतने छोटे होते हैं कि ये कीटो के शरीरो में बस जाते हैं और उनके प्राण लेकर ही मानते हैं।
कीटों को सफाई करना बहुत पसंद होता है मधुमक्खियो के पैरो पर विशेष प्रकार के अकुश या हुक लगे रहते हैं, जिनसे उन पर लगे परागकण को निकालकर वे सफाई करती हैं। कीट अपने पखो को आपस में रगडकर भी सफाई करते हैं।
.
MITRA
SE 220कोट पतगों का आश्चर्यजनक बातें
Page #24
--------------------------------------------------------------------------
________________
तोते भी स्नान कर अपने शरीर को साफ रखते हैं। कबूतर आदि पक्षी चोच की सहायता से अपने शरीर को साफ रखते हैं। हाथियो को भी स्नान करना पसद है।
इस प्रकार क्या कीट, क्या पशु, क्या पक्षी सभी अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वच्छ रखना जानते हैं।
रंग बदलनेवाले कीट शतपाव2 बहुत से जतु वातावरण के अनुसार रंग बदलकर दुश्मन की नजर से बच जाते हैं। जबकि अधिकाश कीटो की शारीरिक बनावट ही ऐसी होती है कि वे वातावरण में घुल-मिल जाते हैं। जैसे घास पर पलनेवाले अनेक प्रकार के कीटो को हम आसानी से पहचान नहीं पाते तथा उन्हें घास या तिनका ही समझते हैं। जब वे उडते है, तब हमे पता चलता है कि ये कीट थे।
अनेक पर्ण कीट सूखी टहनियो के समान दिखाई देते हैं और समय-समय पर वैसा ही रग-रूप बदल लेते हैं ।काष्ठ कीट भी ऐसे ही होते हैं। विटर फ्लाईडर मछली भी अपने वातावरण के अनुसार रग बदल लेती है।
गिरगिट अपना रंग बदलने में ससार-भर मे प्रसिद्ध है, ही
m
MWM
Crictar
PanMERAGERAN
कीट पतगा की आश्चर्यजनक बातें 023
Page #25
--------------------------------------------------------------------------
________________
जुगनुओं की सहायता से कीट लालटेन बनाई जाती है
अफ्रीका के आदिवासी बॉस की सहायता से कीटो के लिए लालटेन बनाते हैं। उसमें वे जुगनुओ को पकडकर भर देते हैं। यह रात में प्रकाश देने का काम करता है।
वहाँ जुगनुओ से लडकियाँ अपने बालों को सजाती हैं। जुगनू अपने शरीर में किस प्रकार रोशनी कर लेते हैं, यह एक रोचक विषय रहा है। वैज्ञानिको ने लूसी फेरिन
और लूसीफरेज रसायन, जो जुगनू के शरीर में होता है, को निकालकर तथा रोशनी बनाकर तो देख लिया है, परतु वे उक्त रसायनो को कृत्रिम रूप से नहीं बना पाए हैं।
बदलनी होगी मान्यता यदि आपकी यह मान्यता हो कि सभी कीट हानिप्रद होते हैं तो आपको अपनी यह मान्यता बदलनी होगी। रेशम और लाख का कीडा कितना उपयोगी है, यह आप जानते हैं।
कीट 'परागण' का बहुत बड़ा दायित्व निभाते हैं। इनमें भौरा, मधुमक्खी, तितलियाँ और पतगे प्रमुख हैं। गुबरीले कीट भी ऐसा ही करते हैं। ये ऐसे स्थानो पर वनस्पति को 'परागण' करके पहुंचा चुके हैं, जहाँ किसी समय उसका नामोनिशान नहीं था।
__ अनेक कीट तथा केंचुए आदि भूमि को खोद-खोदकर तथा नरम करके उपजाऊ बनाते हैं। ये मिट्टी के निचले भाग को ऊपर लाकर सूर्य की किरणों में तपाकर उसे और अधिक उपजाऊ तथा कीट-नाशक बनाते हैं।
झीगुर ऐसा काम बडी मात्रा में करते हैं। ये भूमि मे उपस्थित पत्थर के कणो, लकडी के मल-पदार्थों आदि को पीसकर समाप्त कर देते हैं। शहद किसे अच्छा नहीं लगता ? यह मधुमक्खियो के कठोर परिश्रम का फल होता है।
शहद आदिकाल की सबसे पुरानी मिठाई है। किसी समय शहद मिठाई के रूप में बॉटा व खिलाया जाता था।
240 कीट पतगों की आश्चर्यजनक बातें
Page #26
--------------------------------------------------------------------------
________________
चौंकिए मत यह सुनकर कि..... कीट खाने के पदार्थों के रूप में भी काम आते हैं। अफ्रीका की अनेक हब्शी जातियाँ दीमक को आटे मे मिलाकर 'पौष्टिक रोटियाँ बनाती और खाती हैं। दीमक के हजारो शत्रु होते हैं, जिनमें तीतर या बटेर प्रमुख हैं। ये दीमक को खाते हैं। आदिवासी इन्हें प्रेम से पकाकर खाते हैं।
बर्मा देश में दीमको को सुखाकर रखा जाता है और वक्त-जरूरत खाया जाता है। वहाँ इन्हें दालमोठ के समान नमक मिलाकर ठेलो पर बेचते भी हैं। कुछ देशों में लोग दीमकों को 'तबाकू चिलम' मे मिलाकर पीते हैं।
सॉप के विषैले भाग को काटकर उसे मास के रूप मे खाया जाता है। दूसरे विश्व-युद्ध के समय अजगर का मास सैनिको को भोजन के रूप मे दिया गया था।
चीटी चोर नामक कीट छिपे बैठे रहते हैं तथा चीटियो को पकड़कर रेत या मिट्टी के नीचे घसीटकर ले जाते हैं तथा उन्हे अपना भोजन बना लेते हैं।
पक्षियो में अनेक पक्षी मेहतर या सफाई करनेवाले पक्षी माने जाते हैं, जिनमे गिद्ध, बाज, कौए आदि प्रमुख हैं।
डग बीटल्स या गुबरीले कीडे गोबर में छिपी गदगी को समाप्त करते हैं। हमारे घरों मे सैप्टिक टैंक होते हैं। उनमें भी गुबरीले कीडे रहते हैं। ये मल मे रहे अन्न के शेष भाग को खाकर उसे खाद मे बदलते रहते हैं। यह खाद 'सोन' खाद कहलाती है, जो सोने की फसल पैदा करने की शक्ति रखती है। आलू आदि में 'सोन खाद' बहुत उपयोगी होती है। यदि ये कीडे सैप्टिक टैंक मे न हों तो उनकी सफाई इतनी अच्छी न हो सके। इन्हें बकायदा सैप्टिक टैंक मे पकडकर डाला जाता है। दूसरी ओर सडे गोबर में सडा आलू मिलाकर डालने से भी ये अपनेआप पैदा हो जाते हैं। यह गोबर आलुओ पर चढाया जाता है तथा इन्हे सैप्टिक टैंक के अदर डाला जाता है। किसी समय बड़े शहरो में बोतल में गुबरीले कीडे मॅगाए जाते थे।
कीट-पतगों की आश्चर्यजनक बातें 025
Page #27
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीट कितने खतरनाक ? मानव को कीट जितना परेशान करते है, उतना शायद और कोई नही करता होगा। विश्व-विजेता मानव अपने घर मे भी मच्छरो से डरकर ही रहता है और मच्छरदानी लगाकर ही सोता है।
मच्छर के बाद मक्खी मनुष्यो को सबसे अधिक परेशान करती है। यह तो रोगो का घर कही जाती है। दूसरी ओर चीटी और तिलचट्टे जैसे प्राणियो से बचने के लाख उपाय करे, कहीं न कहीं से वे पधार ही जाते हैं।
___ कोई भी 'सद्गृहस्थ' और 'सद्गृहिणी' यह दावे के साथ नहीं कह सकती कि उसका घर ‘कीट विहीन' है और न वह ऐसी शर्त कभी जीत सकती है।
अफ्रीका मे त्सेती नामक मक्खी निद्रा-रोग फैलानेवाली होती है। ऐनाफलीज मच्छर से सारा ससार परेशान है। यह मलेरिया रोग फैलानेवाला होता है।
MP4
NERALS
ईडीज नामक मच्छर पीत ज्वर को फेलाते हैं। जब बर्र और ततैया आदमी को काटते हे तो छठी के दूध की याद दिला देते हैं। मधुमक्खियो के काटने पर यदि इलाज न 26 D कोट पतगों को आश्चर्यजनक यातें
Page #28
--------------------------------------------------------------------------
________________
विकार---
कराया जाए तो आदमी की मृत्यु तक हो सकती है।
खटमलो से सफाई रखकर बचा जा सकता है, परतु ले काकही पिके साथ हो जाएँगे, यह कहना मुशकिल है।
किसी समय टिड्डी से ससार-भर के लोग परेशान थे किसान को आज भी इसका नाम सुनते ही कॉप उठते हैं।
आप अकेले हो और रात का समय हो तो झींगुरो की आवाज आपको डराए बिना नही रहेगी।
MAR
जीवो को दफनानेवाले कैरिऔन बीटल्स ऐसे कीट हैं, जो मरे हुए जीवो को दफनाते हैं। यदि हम इन्हे 'दफन' करनेवाले कीट कहें तो इसमें आश्चर्य नहीं । ये कीट शवो को बाकायदा गड्ढे में दफन कर देते हैं। ऊपर से इन पर मिट्टी डाल देते हैं। परतु आश्चर्य की बात
कीट पतगों को आश्चर्यजनक बातें 027
Page #29
--------------------------------------------------------------------------
________________
तो यह है कि इस शव मे से प्राणियो का जन्म होता है।
मादा अपने अडे शव में देती है। इन अडो से लार्वा निकलकर मृत शरीर से प्राप्त मास का आहार करते हैं। ये लार्वा इसी मे पलते हैं तथा शव को ऐसे पदार्थो में बदल लेते हैं, जिससे भूमि उपजाऊ होती है।
क्यों होता है ऐसा और ऐसा ही क्यों होता है 2 दुनिया के रहस्यो को जानने के लिए एक ही शब्द काफी है क्यों, क्यो और
क्यो?
आपने देखा होगा जहाँ शकर है, वहाँ चीटी अवश्य होगी। जहाँ जूठन पडी होगी, वहाँ तिलचट्टा अवश्य आएगा। बिना बुलाए ये सब कीट अपने-अपने भोजन के पास पहुँच ही जाते हैं।
ऐसा क्यो होता है इन रहस्यो को आज तक नहीं खोजा जा सका है। बस । इन्हें एक ही शब्द दिया जाता है और वह हे प्राकृतिक गुण । आइए, यह भी जान लें कि मधुमक्खियाँ अपने छत्ते मे पर्याप्त शहद इकट्ठा कर लेती हैं, फिर भी वे अपने काम को जारी रखती हैं । चाहे कोई सा भी मौसम हो और कैसे भी कष्ट क्यो न हों, ऐसा वे प्राकृतिक क्रिया-कलापो के वशीभूत होकर करती ही हैं I
क्यो होता है ऐसा और ऐसा ही क्यो होता है, आप लाख कोशिश करके भी नहीं जान सकते।
28 कोट पतन का आश्चर्यजनक बातें
Page #30
--------------------------------------------------------------------------
________________
नर का मारा जाना
मच्छर की आयु तीन सप्ताह की होती है। इनमे नर मैथुन क्रिया केबाद मर जाते हैं। मादा क्यूलेक्स मच्छर कई सप्ताह तक जवित रहते हैं ।
बिच्छुओ के बारे मे यह प्रसिद्ध है कि मैथुन क्रिया करने से पहले बिच्छू एक प्रकार का नृत्य करते हैं। इनमें नर अपनी मादा को पकड़कर उलटे - उलटे चलते हैं। यह क्रिया नृत्य के समान लगती है। नर मादा को एकात स्थान मे ले जाते हैं । मैथुन क्रिया के बाद मादा नर को मार डालती है तथा फिर उसे खा लेती है ।
साधारणत हम बिच्छू को कीट समझते हैं। वह कीट वर्ग का प्राणी भी है, परतु इसके बच्चे मादा के पेट से जन्मते हैं, अडो से नहीं । इनमें नर तथा मादा भिन्न-भिन्न होते हैं ।
कीट कितने रोमांचक !
पानी के मत्कुणों (खटमलो) की एक जाति अपने अडो की रक्षा नर से करवाती है । वह नर को पकड़ लेती है तथा उसकी पीठ पर अपने अडे दे देती है। नर इन अडों की रक्षा करते हैं ।
कीट पतंगों की आश्चर्यजनक बातें 29
Page #31
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीटो के कुछ अडे गोल होते हैं, कुछ अडे चपटे होते हैं, कुछ चमकदार होते हैं, तो कुछ झुर्रीदार और भूरे। कुछ प्रकार के अडो की शक्ल 'राजा के मुकुट' के समान होती है। एक प्रकार की तितली के अडे बदगोभी के समान होते हैं।
N
Hymns 98
कीटो मे अनेक अद्भुत बाते समाई है
कीटो मे कुछ प्रकार के कीट-पतंगे रेगते हैं। कुछ प्रकार के कीट-पतगे 'तैरते' या 'उडते' हैं। कुछ कीट बिलो मे रहते हैं तो कुछ खुले स्थानो में। इस प्रकार ये कीट अन्य प्राणियों से भिन्न हैं तथा कौतूहल पैदा करनेवाले हैं।
कीटो के प्रकार ससार के शेष सब प्राणियों के योग से भिन्न तथा अधिक हैं। यानी ससार मे सबसे अधिक जाति या प्रकार के कीट मिलते हैं। जो गुण कोट - पतगो मे मिलते हैं, वे अन्य प्राणियो मे दुर्लभ हैं।
30 काट पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Melat
Page #32
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीटों मे यह भी आश्चर्यजनक है कि... बदर के बाल कीटो के छिपने के लिए बडे ही उपयुक्त स्थान होते हैं, क्योंकि ये गर्म होते हैं।
Pati
Kaa
SMAN
आमतौर से सब कीटो के चार पख होते हैं, परतु मक्खियो के केवल दो पख होते हैं। एक विचित्र प्रकार की मक्खी पशुओ के बालो में रहकर अपना सारा जीवन बिता देती है। यह भेडो, बकरियो, हिरनो और अन्य इसी प्रकार के प्राणियो के पास देखी जाती है। घोडो के शरीर पर पलनेवाली 'बघई' मक्खी तो मानो उनकी दीवानी ही होती है।
छोटी-सी जान सौ तूफान ! छोटी मानी जानेवाली चीटियाँ किसानो की बड़ी सहायक होती हैं। ये भूमि को उपजाऊ बनाती हैं। दूसरी ओर ये इतनी खतरनाक भी होती हैं कि ये चूहो, कीटो और मकडियो जैसी प्राणी के पीछे पडकर उन्हें खदेडकर बाहर कर देती हैं।
p3
कोट पता को अश्चर्यजनक 1037
Page #33
--------------------------------------------------------------------------
________________
घृणा उत्पन्न करनेवाले कीट प्रकृति मे अनेक प्राणी ऐसे हैं, जिन्हें देखकर हम उन्हे पाने या पकडने या मन भर देखने के लिए उत्सुक हो जाते हैं, परतु अनेक प्राणी ऐसे भी हैं, जिन्हे देखकर हमें चिढ होती है और उनसे भय भी लगता है। जैसे मेढक का खुरदरा शरीर हमें अच्छा नही लगता, जबकि वह भी रग-बिरगा होता है। उसी प्रकार केंचुए और तिलचट्टे को देखकर हर किसी को घृणा-सी होती है।
___ सहस्रपाद को देखकर भी ऐसा ही मन करता है। इस प्राणी का शरीर सधिपादवाला होता है। ससार में इसकी 8,000 से भी अधिक जातियाँ पाई जाती हैं। इनमे कनखजूरा आदि भी शामिल हैं।
UIDE
SIM
ND
इनकी कुछ जातियाँ समुद्री क्षेत्र के आसपास भी मिलती हैं, जबकि कीट समुद्री क्षेत्र के आसपास नहीं मिलते, क्योंकि नमीयुक्त हवाएँ इनके लिए प्राणलेवा सिद्ध होती
सहस्रपाद केंचुए के घर में अपना घर बना लेते हैं। इनका शरीर 240 से भी अधिक खडो में बँटा होता है, जिनमें हजारो पैर होने से ये सहस्रपाद ही कहलाते हैं।
ये शाकाहारी कीट हैं। सडे-गले को भोजन बनाकर सफाई का काम करने में ये दक्ष होते हैं। ये भूमि को उपजाऊ भी बनाते हैं। इनके घर उथली तथा नरम भूमि ___320 कर पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Page #34
--------------------------------------------------------------------------
________________
मे होते हैं। दलदली भूमि इनके लिए बड़ी उपयुक्त होती है। मादा एक बार मे 20 से 80 अडे देकर जल्दी ही बच्चो को तैयार करती है। इन जतुओ को दिखाई नहीं देता।
उड़नेवाले कीट कितने प्रकार के ? ससार में अनेक ऐसे जीव तथा प्राणी हैं, जो आकाश मे उड सकते हैं। सबसे पहले इनमें पक्षी आते हैं। पक्षियो मे भी अनेक पक्षी अपने भारी शरीर के कारण आकाश मे उड नहीं पाते, जैसे ससार की सबसे बड़ी चिडिया शुतुरमुर्ग, मोर, सुरखाव आदि नहीं उड पाते । तो दूसरी ओर चमगादड एक ऐसा जीव है, जो स्तनपायी है। यह हम मानवो की स्तनपाई श्रेणी में आता है, परतु इसके पख होते हैं और यह आकाश में उडता है।
उडनेवाले अन्य कीट हैं --- तितलियाँ, टिड्डे तथा मक्खी आदि। तिलचट्टे भी थोडी-सी उडान भर लेते हैं। यो तो थोडी-बहुत उडान भरनेवाले और भी हैं जैसे उडन छिपकलियाँ, उडन मेढक, उडन मछलियाँ तथा उड़न गिलहरियाँ।
PRATI
S
SHAYARI
PONG
ज
rea
स
कीट पतगों को आश्चर्यजनक बातें 033
Page #35
--------------------------------------------------------------------------
________________
कीटों मे आश्चर्यजनक बातों की कमी नहीं है
तितलियाँ आदि कीट दिन में ही बाहर निकलते हैं, जबकि मच्छर, खटमल, पतगे तथा तिलचट्टे ऐसे प्राणी हैं, जो रात को ही बाहर निकलते हैं।
चींटी, मधुमक्खी और बर्र मे जितनी सामाजिक भावना तथा सामूहिक कर्तव्य के निर्वाह की भावना पाई जाती है उतनी मनुष्य में भी नहीं पाई जाती।
जन्म से लेकर प्रौढ अवस्था पाने तक की स्थिति में कीटो का शारीरिक परिवर्तन बहुत अधिक होता है। ऐसा परिवर्तन अन्य जीवो मे नही होता । देखने, सूंघने और छूने की शक्ति इन्हे भोजन तलाशने मे बहुत अधिक सहायता देती हैं।
___ भोरे भी शहद बनाते हैं, पर यह मनुष्यो के लिए उपयोगी नहीं होता । ड्रेगनफ्लाई कीट अपना अधिकाश जीवन उडते ही बिता देता है, इसलिए यह कीटो में 'हेलिकॉप्टर' कहलाता है।
ADMAA
N
KaliN
FO
MalarhakA २.SPAIN
AVM
ATTEN
D
TOTA
TIDEVRU
GS
Elim
RAL
मच्छरो की जीभ इजेक्शन की सुई के समान पतली और पोली होती है। वे एक प्रकार का द्रव डालकर उस स्थान को सुन्न कर देते हैं और सूई से खून निकाल कर पी जाते हैं।
कुछ प्रकार के झींगुर गायक होते हैं तो कुछ लडाकू, इसलिए इन्हें पाला जाता
अ0 कोट पाने की आश्चमक गते
Page #36
--------------------------------------------------------------------------
________________
जू, पिस्सू, कुटकी ऐसे कीट हैं, जिनके किसी भी समय पख नहीं रहे । वाटर स्टिक कीट पानी में रहकर भोजन ढूँढता है, परतु सॉस लेने के लिए अपनी पूंछ को ऊपर तल पर जरूर उठाए रखता है।
-
~
कॉकरोच या तिलचट्टे कई माह बिना खाए-पिए रह सकते हैं। जुगनू का अगला भाग विषैला होता है। ये शिकार पर एक प्रकार का जहर फेककर उसे बेहोश कर देते हैं।
a
atta
KARTARA
कीटो मे जानने योग्य बहुत-सी रोचक बाते है रेगनेवाले सभी जीवो मे केवल कीटो के ही पख होते हैं। तितलियो के काफी बडे-बडे पख होते हैं। मकडियो की 8 टॉगे होती हैं। केकडे और झीगो की दस-दस टॉगे होती हैं। साधारणत एक प्रौढ कीट की छ टॉगे होती हैं, जिन्हे साधारण भाषा में हम तीन जोडी टाँगें कहते हैं। यह भी आश्चर्यजनक है कि सहस्रपाद जैसे कीट की टॉगे ही टॉगे होती हैं, जबकि परिभाषा में यह कीट के समान आता है। छडी कोट
कीट पतगों को आश्चर्यजनक बातें 0 35
Page #37
--------------------------------------------------------------------------
________________
छडी के समान दिखाई देते हैं। इनमे से कुछ तो एक-एक फुट लबे होते हैं।
कुछ कीट पत्तियो के समान दिखाई देते हैं तो कुछ फूलो के समान । फूलो पर बैठी तितली का आभास तब होता है, जब वह उडती है, अन्यथा सामान्य रूप से तो हम उसे फूल का ही एक अग मान बैठते हैं।
PAS
H
ind4
आप औजार लेकर काम करते हैं। कीटो के औजार सदा उनके साथ ही रहते हैं। इनसे वे बिल बनाते हैं, मिट्टी खोद लेते हैं, वृक्षो का छाल या कोटर में छेद कर लेते हैं और अपने शिकार को पकडकर उसकी चीर-फाड तक कर लेते हैं।
जो कीट होकर भी उड लेते हैं, उनके शरीर मे हवा भरनेवाली नन्ही-नन्ही थैलियाँ होती हैं। इन्हे 'स्किन ड्राइवर' कहा जाता है। इन्हीं के आधार पर आज गोताखोर मनुष्य पानी के अदर जाते हैं तथा 'स्किन ड्राइवर' कहलाते हैं।
आपने छिपकली को छत पर उलटा चलते हुए देखा होगा, परतु आप यह जानकर आश्चर्य करेंगे कि मक्खी भी छत पर आसानी से वैसे ही चल लेती है।
मधुमक्खियो की टाँगो पर प्राकृतिक कये और ब्रश लगे होते हैं, जिनकी सहायता से वे मोम को विभिन्न आकृतियो में बदलती हैं।
360ट पता को आश्चर्यजनक बातें।
Page #38
--------------------------------------------------------------------------
________________
दीमक एक नन्हा-सा कीट है। यह अपना सारा जीवन पुस्तकालय में बिताता है, जबकि पढने से उसका कोई वास्ता नही होता। हॉ, वह किताबो का दुश्मन अवश्य साबित होता है।
कुछ कीट चिडियो के शरीर पर चिपक जाते हैं, ठीक वैसे ही, जैसे स्त्रियो आदि के सिर पर जूं चिपकी रहती है। इन कीटो को मारने का क्या उपाय है ? चिडियॉ ऐसे सकट के समय धूल में नहाती हैं । इससे उनके शरीर पर चिपके कीट सॉस न ले पाने के कारण मर जाते हैं।
कीट अपनी जाति के कीटो की उपस्थिति एक मील दूर से मालूम कर सकते _ हैं। इसका आधार उनके सूंघने की विलक्षण शक्ति होती है।
कीट अपने आगे जानेवाले कीट के पैरो के निशानो पर चल कर आगे की ओर बढते जाते हैं।
कुछ तेज प्रकार के रगो का निर्माण भी कीटो की सहायता से किया जाता है। कुछ कीटो के शरीर को पीसकर दवाई भी बनाई जाती है।
कुछ कीट स्वय भी जहरीले होते हैं और उनके अडे भी जहरीले होते हैं। इन्हे भला कौन नष्ट करना पसद न करेगा?
कीट-पतगों की आश्चर्यजनक बातें 0 37
Page #39
--------------------------------------------------------------------------
________________
अनेक प्रकार के कीट अपने शरीर को ढकनेवाली खाल को प्राकृतिक रूप से फाड लेते हैं, ताकि उनका शरीर बढे तथा वे अगले जीवन-क्रम को प्राप्त कर सके। इल्ली तथा अन्य प्रकार के कीटो में ऐसा ही होता है।
आइए, यह भी जान ले कि ... * शहतूत पर पाला जानेवाला रेशम का कीडा 56 दिनो मे अपने वजन से 7,000 गुना वजन का भोजन चटकर जाता है। इसी प्रकार मनुष्यो के लिए उपयोगी लाख का कीडा भी कितनी वनस्पति को खाकर समाप्त करता होगा?
* बैक स्वीमर्स नामक एक विलक्षण कीडा उलटा होकर तैरता है। उसको बोट बग यानी 'बोट के समान तैरनेवाला' कीडा कहा जाता है। एक साधारण-सी चींटी अपने वजन का 50 गुना वजन भोजन के रूप मे उठा सकती है।
* एक उडती हुई मक्खी एक सेकड मे 200 से 300 बार अपने पखो को फडफडाती है।
* घोघा नामक समुद्री जीव ब्लेड की धार पर बिना घायल हुए चल सकता है। ऐसा वह अपने कडक शरीर के कारण करता है। कॉकरोच का रक्त रगहीन होता है। इसमे हीमोग्लोबिन का प्रभाव होता है। यह सफेद रंग का होता है, जबकि केचुए के रक्त मे हीमोग्लोबिन मिलता है। अनेक जतुओ के कूटपॉव अपना भोजन पकडने. के काम मे आते हैं, साथ ही इनकी सहायता से ये अपना भोजन खाते हैं।
* अनेक प्राणी 'द्वि-लिगीय' होते है। कुछ के गुदा-द्वार उनके मुख के पास होते हैं। ये दोनो गुण केचुए में पाए जाते हैं। सी फैन अर्थात समुद्री पखा नामक जीव पखे के समान दिखाई देते हैं। ये भी कॉलोनी बनाकर रहते हैं। फीताकृमि 2 से 3 मीटर तक लबे हो सकते हैं। ये परजीवी मानव, सूअर आदि के शरीर मे भी होती है।
* रेशम और लाख के कीडे के अलावा टाइगर बीटल्स कीडा भी मनुष्य जाति के लिए अधिक उपयोगी होता है। इसको 4,000 जातियाँ मनुष्यो के शत्रु कीटो के
38 Dकीट पतगों की आश्चर्यजनक बातें
Page #40
--------------------------------------------------------------------------
________________
लार्वा अडो आदि को खाकर मानव पर उपकार करती हैं। कीटो को खाकर यह कीटो की दुनिया मे प्राकृतिक सतुलन बनाए रखता है। बीटल्स भी शवो को खाकर सफाई का काम करते हैं।
* लेडी बर्ड बीटल, राव बिटल, डाइटिसकस मारीजिनेलिस तथा आयल बीटिल्स ऐसे कीडे हैं, जो कीटो को खाकर मनुष्यो पर अनेक उपकार करते हैं। आयल बीटल्स तो मक्खियो के बालो को पकडकर उनके पीछे-पीछे, उनके निवास स्थानो पर जाकर उनके लार्वा को साफ करता है। इसी प्रकार के अनेक कीट और भी हैं जो कीट होकर कीटो को खाते हैं।
* बघई मक्खी को अग्रेजी मे हॉर्स फ्लाई भी कहा जाता है। यह घोडो की पॅछ के बालो पर अपने अडे देती है। यह इन जानवरो को बहुत कष्ट देती है।
* किलनी कीट परजीवी है। इसे कुत्ते, गाय, भैस, घोडे आदि के शरीर पर आसानी से देखा जा सकता है। यह स्तनधारी (उक्त प्रकार के प्राणियो) के शरीर पर मिलती है। इसे इन जानवरो के शरीर पर से आसानी से नही हटाया जा सकता । कई बार तो हटाते समय इसके पैर टूटकर वही रह जाते हैं।
* अनेक प्रकार की किलनियाँ मुरगियो के शरीर पर अडे देती हैं। इससे उनके शरीर मे रोग पैदा होते हैं तथा ज्वर आदि से मुरगियाँ मर जाती हैं।
PELL
-
-
Rain
५. कीट पतगों की आश्चर्यजनक बातें 039
Page #41
--------------------------------------------------------------------------
________________
* बैल की मक्खी इसलिए 'बैल की मक्खी' कहलाती है कि यह बैल के शरीर में छेद करके वहाँ अडे देती है।
* भेड की मक्खी भेडो की नाक मे अडे देती है तथा उनके शरीर को कष्ट पहुँचाती है। अतत भेड के मस्तिष्क मे पहुँचकर उसको खाती है तथा उसके प्राण लेकर ही रहती है।
__ * मेय या मे बीटल्स कीट होकर भी शाकाहारी होते हैं। इनका शरीर रंगीन और चमकीला होता है। कीटो मे खटमल ऐसे जीव होते है, जिनके पख नहीं होते।
* इसी प्रकार पिस्सुओ के भी पख नहीं होते। पिस्सू सभी जानवरो के शरीर पर पाए जा सकते हैं, परतु इनका सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थान चूहा है। ये चूहे पर रहकर प्लेग रोग फैलाते हैं।
* रोव बीटल्स नामक कीट पेसिल की नोक को पकड सकता है। और फिर आप उसे चाहे जितना हिलाएँ-डुलाएँ यह उसे छोडनेवाला नही है। इसके शरीर से एक प्रकार की बुरी गध आती है, मानव इससे घृणा करता है तथा इसके पास आते ही इसे भगाने मे लग जाता है।
PM
सा
40 D कोट पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Page #42
--------------------------------------------------------------------------
________________
* गोल कृमि भी इसी प्रकार मनुष्यो व अन्य बडे प्राणियो को रोगी बना देते हैं ।
uninst
* केचुआ निशाचार होता है, सिह, उल्लू व चमगादड के समान । इसे रोशनी भी पसद नही होती। पशुओ के शरीर से चिपकी रहनेवाली जोक बाह्य परजीवी है । यह बाहर रहकर खून चूसती है तथा प्राणियो मे रोग फैलाती है ।
HDD) X
DEB
* झींगा मछली का पेट 19 खडो मे बॅटा रहता है । यह भी निशाचर होती है । परतु इसे चाहनेवाले बमुशकिल इसे खोज ही लेते हैं। यह ससार के अनेक भागो में
कोट पतगों को आश्चर्यजक बातें 41
Page #43
--------------------------------------------------------------------------
________________
भोजन के काम मे आती है। कॉतर या कनखजूरा का शरीर 23 खडो या भागो में बँटा रहता है। प्रत्येक खड पर पजायुक्त टॉगे होती हैं।
ASS
__ * केकडे का शरीर कवच से ढका रहता है। सकट आने पर यह कछुए के समान अपने शरीर को कवच मे बद कर लेता है।
.
SAIN
३
420 कोट पतगों को आश्चर्यजनक बाते
Page #44
--------------------------------------------------------------------------
________________
* नम और ठडे स्थानो में रहनेवाले बिच्छू का नाम सुनते ही मनुष्य डर जाते हैं। ये भी निशाचर होते हैं । इनके डक मे विष होता है । डक को काटने के बाद कई लोग मनोरजन के लिए बिच्छू को अपने पास रखते है ।
* मकड़ी से हम सब परिचित है, परतु शायद यह नही जानते कि इसके आठ पैर होते हैं तथा इसके नेत्रो की सख्या भी लगभग 8 होती है। यह कीट - भक्षी है 1 इसके द्वारा काता गया 'सूत' अपने उसी आकार के तार से भी ज्यादा मजबूत होता है
कीट पतंगों की आश्चर्यजनक बातें 43
Page #45
--------------------------------------------------------------------------
________________
सम्राट केकडे का नाम शायद आपने न सुना हो। इसे अग्रेजी में किंग ब कहते हैं। इसका शरीर 21 खडो मे बँटा रहता है। वह भी दो भागो मे विभाजित होता है । यह मासाहारी है तथा मानव मासाहारियो का प्रिय भोजन हे । पाँच सितारा होटलो मे सम्राट केकडे की डिश सबसे महंगी होती है ।
*
Pocaly
तिलचट्टे से कौन परिचित न होगा। यह निशाचर होता है। इसके सिर पर एक जोडी स्पर्श सूत्र तथा एक जोडी सयुक्त नेत्र होते हैं। इसके 6 पेर होते हैं। इसका पेट 11 खडो मे बॅटा होता है ।
*
44 13 कोट पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Page #46
--------------------------------------------------------------------------
________________
टिड्डी
ससार-भर में फसलो को नुकसान पहुँचाने मे टिड्डी जैसा शत्रु कोई नही होता । जहाँ टिड्डी दल बैठ जाए वहाँ की फसल के केवल डठल ही शेष रह जाते हैं । किसी समय टिड्डियों का दल अतरराष्ट्रीय स्तर पर फसलों और वनस्पतियों का नाश करता था । टिड्डी दल के आने का नाम सुनकर किसान आज भी भयभीत हो जाता है।
खटमल
खटमल का शरीर चपटा और अडाकार होता है। इसके अनेक स्पर्श सूत्र पाए जाते हैं, जिनकी सहायता से यह अपना शिकार ढूँढता है । इसकी छाती पर तीन जोडी टाँगे होती हैं । परतु इस कीट के पख नहीं होते है । यदि होते तो न जाने यह और कितने जुल्म ढाता । काला आजार, प्लेग और मियादी बुखार खटमलो के काटने से होता है।
कीट पतंगों की आश्चर्यजनक बातें 45
Page #47
--------------------------------------------------------------------------
________________
मानवों ने कीटो से भी बहुत कुछ सीखा है जी हॉ, मानवो ने कीटो से भी बहुत कुछ सीखा है। मधुमक्खियो तथा दीमक के छत्तों मे जो-जो अनुशासन देखने को मिलते हैं, उनसे हमें सेना के अनुशासन की याद आती है, साथ ही उस प्रकार का अनुशासन रखने की प्रेरणा जीवन में मिलती है। ____कहावतो, मुहावरो तथा लोकोक्तियो मे बडी सख्या ऐसी कहावतो, मुहावरो आदि की भी है, जिनमे कोटो के नाम, काम, जीवन-परिचय या उनकी विशेषताओ का उल्लेख हुआ है। इन कहावतो को हम दैनिक जीवन मे उपयोग मे लाते हैं तथा बात को समझने मे आसान बनाते हैं।
अनेक बार तो इन कहावतो को कहे बिना अपनी बात प्रभावशाली ढग से नहीं कही जा सकती तथा कई बार तो केवल एक ही माध्यम रह जाता है कि इस बात को केवल कीटो से सबधित किसी कहावत या मुहावरे के माध्यम से ही समझाया जाए। जैसे 'वह आजकल मक्खी मार रहा है' अर्थात पूरी तरह से बेकार है और बेकार के तथा निरुद्देश्य कामों में लगा है।
देखिए इनके अनिवार्य उपयोग के कुछ अश जैसे चींटी की चाल चलना, चीटी के पर निकलना, तितली बनना, बिच्छू का-सा डक मारना, जूं न रेगना या जू के समान रेगना, दूध की मक्खी, दूध की मक्खी के समान निकाल फेकना, मक्खी मारना, नाक पर मक्खी न बैठने देना आदि-आदि ।
इनकी सख्या बडी विस्तृत और रोचक है। निश्चित ही कहावतो और मुहावरो मे कीट-पतगे आदि अपनेआप मे एक विशेष अध्ययन की आवश्यकता रखते हैं।
एक प्रकार की काली मकडी बडी विषैली होती है। इसे अग्रेजी भाषा में 'ब्लैक विडोस्पाइडर' कहा जाता है।
पश्चिमी देशो तथा अग्रेजो मे विधवाएँ केवल काले कपडे पहनती हैं। उन्होंने 46 0 कोट पता को आश्चर्यजनक बातें
Page #48
--------------------------------------------------------------------------
________________
इस कीट की तुलना और इसका सबध काले कपडे पहननेवाली विधवा महिलाओ से जोडा तथा इस कीट का नाम भी ब्लैक विडोस्पाइडर अर्थात विधवाओ के समान काले कपडे धारण करनेवाला कीडा दिया। है ना मजेदार बात।
अग्रेज विधवाएँ तो काले कपडे पहनती है, परतु भारतीय विधवाएँ सफेद कपडे पहनती हैं। दोनो के रग और विचारधारा मे भी कितना अतर है, सोचिए तो जरा?
रग और रूप का जीवन मे बड़ा महत्त्व है । जब किसी अग्रेज ने सफेद रगवाली दीमक को देखा होगा तो उसे अपनी गोरी मैम की याद बरबस ही आ गई होगी, और उसने उसका नामकरण कर दिया---'ह्वाइट एट', अर्थात सफेद गोरी चोंटी, बनाम दीमक।
"सिकाड़ा' कीट, जो वैज्ञानिकों की खोज का विषय रहा है
सिकाडा कीट ने अपनी ओर वैज्ञानिको का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा है। इसके शरीर पर एक ढोल-सा होता है, जिसकी सहायता से यह शोर मचाता है। वैज्ञानिक आज तक सिकाडा के कानो का पता नही लगा पाए हैं।
आवाज या ध्वनि करने के लिए प्राय कीट अपने शरीर को खरोचते हैं। कुछ
कीट पता की आश्चर्यजनक बातें 047
Page #49
--------------------------------------------------------------------------
________________
अपने जबडो को रगडकर आवाज पैदा करते हैं। उनकी ये ध्वनियाँ बहुधा नर या मादा को आकर्षित करने तथा शत्रु को डराने के लिए होती हैं।
एक तुलना हाथी और चींटी की हाथी और चींटी की तुलना हँसानेवाली होती है, परतु यह सही है कि एक छोटी-सी चीटी यदि हाथी की नाक में घुस जाए तो वह उसके नाक में दम कर देगी। हाथी घास-पात को झटक-झटककर या पटक-पटककर केवल इसलिए खाता है कि उसमे आई चींटियों और अन्य कीट भाग जाएँ। इस प्रकार छोटा-सा जीव भी बडे-बडो को चक्कर मे डाल सकता है।
__ हाथी अपने वजन से कई सौ गुना भार नहीं ढो सकते, परतु चीटियाँ अपने वजन से कई सौ गुना भार ढो लेती हैं।
जहाँ शकर होगी, चीटियों को आते देर नहीं लगेगी। ऐसा वे अपने खोजी स्वभाव के कारण प्राकृतिक रूप से करती हैं। चींटियो का घर होता है, हाथियो का कोई घर नहीं होता।
49
कौर पतगा को आश्चर्यजनक बातें
Page #50
--------------------------------------------------------------------------
________________
हाँ, हाथियो के समान चीटियाँ भी बोझा ढोती हैं, घास-पात काटती हैं और लडती-भिडती हैं। थोडा-थोडा करके चीटियाँ हाथियो जितना भी खा सकती है। परतु हाथी चीटियो जितना खाकर जीवित नहीं रह सकता।
.
SR.
WITauwa
चीटियो में एक रानी चींटी होती है। यह भी दीमक, मधुमक्खी तथा इसी प्रकार , के अन्य कीटो के समान केवल अडे देती हैं।
हाथियो मे भी नेता हाथी और नेता हथिनी होती हैं, जिनके आदेश पर पूरा दल.' चलता है।
इस प्रकार हाथियो और चीटियो का कई मामलों में मुकाबला है। जो यह कहते हैं कि चीटियो और हाथियो का क्या मुकाबला ? वे ऐसा अज्ञानवश ही कहते हैं।
कीट-पतगो की आश्चर्यजनक बातें 049
Page #51
--------------------------------------------------------------------------
________________
चींटियो मे और भी विचित्रताएँ है
अनेक चीटियाँ केवल भोजन इकट्ठा करती हैं। वे इतना खाती हैं कि हिल-डुल भी नही पातीं । वे बिल में एक जगह लटकी रहती हैं। मजेदार बात तो यह है कि जरूरत पड़ने पर अन्य चींटियाँ इनके पेट से भोजन निकालकर खा लेती हैं।
आप यह जानकर भी आश्चर्य करेंगे कि चीटियों बाकायदा बीज बोकर फसलें उगाती हैं । वे बिल के अदर कीड़े-मकोडो को गायो की तरह पालती हैं और उनसे दूध और शहद पाती हैं।
यह भी रोचक बात है कि चीटियो के बिल मे झीगुर, मकडियाँ और अनेक प्रकार के कामचोर कोडे डटे रहते हैं और फोकट का भोजन उडाते रहते हैं।
चीटियो के दो दलो मे मनुष्यो की भाँति बराबर युद्ध होता है । चीटियो को अनेक जातियाँ ऐसी है, जो अपनी ही जाति की चींटियो को खा जाती है। घने वनो मेचीटियो की दो से ढाई मीटर तक ऊँची बॉबियाँ देखने को मिल जाती हैं।
आधुनिक भाषा मे आप चीटियो को मजदूर चीटी, इजीनियर चीटी, बॉडी गार्ड यानी अगरक्षक चींटियाँ, फूड लोडर अर्थात भोजन ढोनेवाली चींटियाँ आदि अनेक नामो से पुकार सकते है ।
चीटियाँ काफी व्यवस्थित एव अनुशासित जीवन बिताती है ।
50 कोट पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Kich
"Year
Page #52
--------------------------------------------------------------------------
________________
चींटियाँ भी गाएँ पालती है। 'कबूतर का दूध' जैसे आश्चर्यजनक विषय पर आपने अवश्य पढा होगा। अब आश्चर्य मत कीजिए यह जानकर कि चीटियाँ भी बाकायदा गाएँ पालती हैं।
यह बात दूसरी है कि उनकी गाएँ गाएँ न होकर 'भुनगा' नामक कीडे होते हैं, जो उनके लिए गाय का काम करते हैं। भुनगियो के शरीर से एक मीठा रस निकलता है, जो तरल और दूध के समान मीठा होता है। चींटियो को यह रस बहुत भाता है। इसलिए चीटियाँ भुनगा जाति के इन कीटो को घेरकर पकड लेती हैं, फिर धीरे-धीरे उन्हे अपना आश्रित बना लेती हैं। कुछ दिनो बाद इन कीटो के पख गिर जाते हैं तथा इनकी नजर कमजोर हो जाती है, तब भुनगे चींटियो के आश्रित होकर रहने लगते हैं।
चीटियाँ इन्हे नियमित भोजन देती हैं और इनके 'दूधरूपी मीठे तरल पदार्थ) ___ का सेवन कर आनदित होती है।
. . ,nios तुच्छ कहे जानेवाले जीव भी देखिए, कैसे-कैसे अजीब काम कर लेते हैं, जो ___ मानवो को चौकानेवाले होते हैं।
lrJeruth
Paner-marin
THREADLA
Hindi
EVENTS
प्रेट पतगों की आश्चर्यजनक बातें
51
Page #53
--------------------------------------------------------------------------
________________
चीटियो मे चलन चीटियां अपनी सुंचने की शक्ति के आधार पर चलती है। वे एक-दूसरी का पीछा करती हुई चलती है किमी रेलगाड़ी के डिब्बो के समान । इनकी चाल को भेडिया घसानी चाल कहने में जरा भी मत हिचकिए।
यदि अगली चींटी रुकावट के कारण ही अपना मार्ग बदलती है तो दूसरी भी बदलेगी, ठीक भेड के समान-एक कुए में गिरती है, तो दूसरी भी गिरेगी।
RE
कीटो के ससार मे एक आश्चर्यजनक कीट . मकडी
माठियोगा मन जितमा आश्चर्यजना उमसे अधिक मकड़ियाँ गः जारी || माडियों के समान तबा-चौड़ा जात और अन्य कोई दीया ।इनी आठ टांग और आठ आंगनी ।।
Ifmain - भोग्न तताराती aririnान बन I
P
माamririmari anr rti mant
Page #54
--------------------------------------------------------------------------
________________
एक प्रकार का तेल पैदा होता है, जो उसे इस चिपचिपे धागे मे फॅसने नही देता । और इस प्रकार मकडी सुरक्षित रहती है और वह स्वय अपने जाल मे नहीं फँसती।
HALL
uli
मकडियाँ अपना जाल कीटो को फंसाने के लिए ही बनाती हैं। इसके तार वायु में आने के बाद मजबूत हो जाते हैं। मादा मकडियाँ अपने नर को मैथुन क्रिया के बाद मार डालती है और खा जाती हैं।
M
ITY
-/4 कोट पतगों को आश्चयजनक याते 0531
Page #55
--------------------------------------------------------------------------
________________
मकडी का जाला कितना निराला उपेक्षित और सुनसान जगहो के अलावा जहाँ मनुष्य सफाई नहीं रखते, वहाँ मकडी अपना जाला बनाती है तथा वह बिन बुलाए मेहमान की तरह बस जाती है और उसे अपना घर बना लेती है।
ससार की सबसे बडी मकडी का नाम 'थेराफोसा लेबलाडी' तथा सबसे छोटी मकडी का नाम 'पाटू मारप्लेसी' है। शिकार को फंसाने के बाद मकडी एक बार फिर लार से उसके आस-पास जाला बनाकर उसे मार डालती है। वह अपने शिकार को पूरा नहीं खाती, केवल उसका नरम भाग चूसती है। वह बहुत-सा भोजन इकट्ठा कर उसे आराम से खाती रहती है और सुस्त पड़ी रहती है।
मकडी की शारीरिक बनावट बहुत जटिल होती है। आपने पढा होगा कि छिपकली की पूँछ टूटने पर दूसरी पूँछ निकल आती है, उसी प्रकार मकडी की टॉग टूटने पर दूसरी टॉग निकल आती है।
खेतो मे मिट्टी के साथ जाले बनाकर मकडी वहाँ हानि पहुँचानेवाले कीटो को खाकर किसानो को लाभ पहुंचाती है। यह भी आश्चर्यजनक है कि दूरबीनो मे लगाए जानेवाले तार मकडी के जाले के बने होते हैं।
मधुमक्खियाँ - जिनके गुणों से
मानव आदिकाल से परिचित रहा है मधुमक्खियो मे सर्वाधिक सामाजिक भावना पाई जाती है। इनके छत्ते में जो अनुशासन देखने को मिलता है, उसकी तुलना केवल सेना के अनुशासन से ही की जा सकती है।
शहद में विटामिन, शकर, तत्त्व, एजाइम्स आदि होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। इसलिए शहद आदिकाल से मिठाई के रूप मे काम मे आ रहा है। किसी समय शहद मिठाई के रूप मे बॉटा जाता था। मधुमक्खियो के एक छत्ते 540 कोट पतगों को आश्चर्यजनक बातें
Page #56
--------------------------------------------------------------------------
________________
मे एक रानी, कई सौ नर (ड्रोन) व कई हजार मजदूर होते हैं।
मेहनती मजदूर मधुमक्खियाँ शहद लाती हैं, पानी लाती हैं, छत्ते को अपने पखो से ठडा रखती हैं, सफाई करती है तथा शिशुओ (मक्खियो) की देखभाल करती हैं। मधुमक्खियो मे भी एक रानी होती है, जो केवल अडे देती है।
पाठको को यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि सभी प्रकार की मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर नही रहतीं। एक प्रकार की मधुमक्खी लकडी के बिल मे रहती है। यह बढई मधुमक्खी कहलाती है।
राज मधुमक्खियाँ अपने अडे किसी पुराने पौधे के खोल मे अथवा वृक्ष के खोखले भाग में देती हैं। यह मधुमक्खी किवाडो आदि मे होनेवाले छेदो मे अपना घर बना लेती है।
परिसर
कीट पतगों को आश्चर्यजनक बते Dss
Page #57
--------------------------------------------------------------------------
________________
और मजेदार बात तो यह है कि उसके मुँह को रेत और मिट्टी से बद कर देती हैं। इस प्रकार उन्हे दुश्मन तो वहाँ नही खोज पाते, परतु खोजी मानव की दृष्टि से वे बच नही पाते।
एक खोज, जो नोबल पुरस्कार का कारण है
मधुमक्खियाँ नृत्य के माध्यम से बातचीत करती हैं, इशारा करती है और अपनी साथी मधुमक्खियो को रास्ता दिखाती हैं । सन् 1973 मे जर्मन वैज्ञानिक डॉ फ्रिश ने इसे बहुत अधिक परिश्रम करके खोजा है और उन्हें इस खोज पर नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह सिद्ध किया है कि मधुमक्खियाँ विशेष नृत्य द्वारा आपस मे सूचनाओ का आक्षन-प्रदान करती है। और इसी नृत्य द्वारा फूलो से भोजन लेकर लौटी
TAN
म
S
मजदूर मधुमक्खियाँ, मधुगृह की अन्य मधुमक्खियो को न केवल यह बता देती है कि भोजन का स्रोत कितनी दूर है, बल्कि उसकी दिशा भी बता देती है। 50 बाट पता को आश्चर्यजना यने
Page #58
--------------------------------------------------------------------------
________________
यहाँ एक रोचक और मजेदार तथा ज्ञानवर्धक बात यह है कि भोजन के स्रोत की दूरी बढने के साथ ही नृत्य की शैली परिवर्तित होती रहती है।
इनका यह नृत्य थिरकनवाला होता है, जो मधुमक्खियों को सूर्य की दिशा के आधार पर किस दिशा में जाना है, यह सकेत देता है ।
मधुमक्खियों जब चूहे की कब्र बना देती है
शहद खाना भला किसे पसद न होगा। रीछ मधुमक्खियों के छत्ते तक पहुँच जाते हैं और बड़े आराम से शहद खाते हैं। उनके शरीर पर बहुत से बाल होते है तथा मुह आदि का खुला भाग कडा होता है, इसलिए मधुमक्खियाँ चाहकर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पातीं ।
चूहे भी शहद के लालच मे मधुमक्खियों के छत्ते के पास पहुच जाते हैं। उनके छत्ते को नुकसान भी पहुँचाते हैं, तब मधुमक्खियाँ उन्हें डक मार-मारकर घायल कर देती हैं। जब चूहा मर जाता है, तो वह सडने लगता है । बदबू से बचने के लिए मधुमक्खियाँ उसके ऊपर मोम का लेप कर उसे कब्र मे बद कर देती हैं। साथ ही अपने आवास को साफ-सुथरा भी रखती 1
ॐ
Mal
कीट पतंगों को आश्चर्यजनक बातें 57
Page #59
--------------------------------------------------------------------------
________________
तितलियॉ-जिनसे मानव बहुत अधिक लगाव
या आकर्षण रखता है कीटो मे तितलियाँ ही ऐसी है, जो मानवो को अपनी ओर बहुत अधिक आकर्षित करती है। हमे अन्य कोई कीट इतना आकर्षित नहीं करता। कीटो मे तितलियाँ जितनी सुदर होती है, उतना सुदर और कोई कीट नहीं होता।
रग-बिरगी तितलियो की अपेक्षा एकदम सफेद तितलियाँ और भी ज्यादा आकर्षक होती है, साथ ही वे किसानो के लिए उपयोगी भी होती है। परागण के काम मे तितलियाँ बहुत अधिक हाथ बॅटाती है तथा वनस्पति के बीजो को ऐसी जगह ले ही नहीं जाती है बल्कि वहाँ उन्हे उगाने में सहायक भी होती है, जहाँ वे किसी समय उगते नही थे।
एक मादा तितली 500 से भी अधिक अडे देती है, जिनसे तीन-चार दिन में बच्चो का जन्म होता है।
विश्व वन्य जीव कोश के अनुसार करीब 100 मिलियन डॉलर के लगभग तितलियो का व्यापार होता है। इन्हे बेचनेवाले व्यापारी लाभ कमाकर करोडपति हो जाते हैं। इतना उपयोगी है यह कीट ।
t
580 कीट पतगों की आश्चर्यजनक बातें
Page #60
--------------------------------------------------------------------------
________________
'स्पेलो टेल' नामक तितलियाँ 7,000 डॉलर तक की कीमत पाती हैं। ससार में 20,000 प्रकार की तितलियाँ मिलती है। उनमे से 1,440 प्रकार की तितलियाँ भारत मे मिलती हैं। इसलिए इसे तितलियो का स्वर्ग कहा जाता है।
___ अपनी विशेषताओ के कारण बेचारी तितलियाँ पकडी जाती हैं, मारी जाती हैं। किसी समय सुरखाव पक्षी का इतना शिकार किया गया कि उसकी नस्ल के समाप्त होने का भय खडा हो गया। तब अमेरिकी सरकार ने सुरखाव के पकड़े जाने और उसकी हत्या किए जाने पर प्रतिबंध लगाया। सुरखाव को उसके सुदर पखो के कारण पकडा जाता है। हमारे देश मे भी मोर के शिकार पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अब ससार-भर मे तितलियो के पकड़े जाने तथा उनकी हत्या किए जाने पर प्रतिबंध की मॉग की जा रही है। आज तितलियो के विकास के लिए एक क्रमबद्ध फोर्म बनान) जाने की मांग भी की जा रही है ताकि उनका विकास हो- Manand
तितलियाँ कहाँ से आती हैं तथा कहाँ जाती है? यह आज भी रहस्य का विषय है । एक वैज्ञानिक की जॉच के आधार पर निष्कर्ष निकला है कि अनुकूल मौसम की
कीट-पतगों की आश्चर्यजनक बातें 059
Page #61
--------------------------------------------------------------------------
________________
चाह मे तितलियाँ पक्षियो के समान प्रवास करती है। हमारे देश में तितलियाँ उत्तर भारत में पड़नेवाली असहनीय ठड के कारण दक्षिण की ओर चली जाती है।
AMRATAttrule
-
-
विदेशो मे कहा जाता हे कि तितलियो की उत्पत्ति 'कुआरी मेरी' के ऑसुओ से हुई है। आज भी अनेक देशो में मृत व्यक्तियो की कब्र मे तितलियाँ रखी जाती हैं।
कई देशो मे इन्हें स्वतत्रता का प्रतीक माना जाता है। इसका कारण यह है कि इन्हे न तो पिंजरे मे बद किया जा सकता है, न पालतू बनाया जा सकता है। आज भूटान ग्लोरी और केसर-ए-हिंद नामक जाति की तितलियाँ दुर्लभ हैं।
भारत मे इनके शिकार पर प्रतिबध लगा दिया गया है, तो विदेशो मे तितलियाँ 'तस्करी' का एक बडा भाग बन चुकी हैं।
तितलियों के लिए अभयारण्य सिह, बाघ, तेदुए, शेर तथा हिरन जैसे प्राणियो के लिए 'अभयारण्य' बनाने की बात आपने पढी होगी। इसी तरह अनेक सरकारो ने तितलियो के लिए बाकायदा 'अभयारण्य' बनाने का निश्चय किया है। इसका उद्देश्य तितलियों को वैज्ञानिक ढग से पालने, उनकी नस्ल बढाने तथा आवश्यकतानुसार बिना हिंसा किए तितलियों को पकडना है।
600 कीट पतगों की आश्चर्यजनक बातें
Page #62
--------------------------------------------------------------------------
________________
इडोनेशिया मे यह कानून लागू हो गया है, जो भारत सरकार के वन्य जीवन सरक्षण कानून के आधार पर बनाया गया है। तितलियो से सुदर टेबल मेट्स, बुक मार्क्स तथा कलात्मक आकृतियाँ व चित्र बनाए जाते है। भेट देने के लिए तरह-तरह की तितलियो का सेट भी वैसे ही भेट किया जाता है, जैसे अलबम मे चित्रो के सेट आदि।
तितलियो के क्रूरतापूर्ण अत को रोकना तथा अवैध व्यापार को बद करना ही इस निर्माण का मुख्य उद्देश्य है। आप जानकर आश्चर्य करेगे कि अभयारण्यों के 20,000 से भी अधिक लोग केवल इडोनेशिया जैसे देशो मे तितलियो के अवैध व्यापार मे लगे हैं। बेशुमार आमदनी तथा दिखावट की भावना ने उन्हे इसके लिए प्रेरित किया है।
इन सब पर प्रतिबध लगाने के लिए भी तितलियो के अभयारण्य बनाए गए हैं।
कीटो मे सर्वाधिक दुर्भाग्यशाली कीट - इल्ली ___ बेचारी इल्ली कितनी ही सावधानी से रहे और छिपे, शत्रु कीट उसे ढूंढ ही निकालते है और अपना भोजन बना लेते है। सभी शिकारी कीटो को इल्ली का नरम मास लचीला और अच्छा लगता है। इसलिए इल्ली सबसे अधिक दुर्भाग्यशाली मानी जाती है। सॉप, छिपकलियाँ और मेढक भी इल्लियो को अपना भोजन बनाते है।
WILL
कीट-पतगों को आश्चर्यजनक बातें 061
Page #63
--------------------------------------------------------------------------
________________
इल्लियो मे एक रोचक बात यह भी है कि इल्ली की टाँगे अस्थायी होती हैं, जो बाद मे गिर जाती हैं (समाप्त हो जाती हैं) । इल्ली का शरीर 13 छल्ले रूपी भागो में बॅटा रहता है । इल्ली भी सारे समय खाती ही रहती है। यहाँ तक कि रात और दिन वह खाती रहती है। क्योंकि यह तेजी से बढती है, अत इसे अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। ये मूलियो और शलजम जैसे खाद्य पदार्थों को कुतरकर मानवो को बहुत हानि पहुँचाती हैं।
इल्ली अपने शरीर की खाल बदल देती है, जिसे 'निर्मोचन' कहा जाता है। अनेक कीटो की खाल उनके बढने या शारीरिक रूप से विकास करते समय ही फट जाती है। किंतु इल्ली में यह बात नहीं है।
आप दल्लियों को देखकर भले ही मुँह बनाएँ, परतु जाबिया (अफ्रीका) में इल्लियों को देखकर लोगो के मुँह में पानी आता है। वहाँ ये स्वादिष्ट पदार्थ के रूप में भूनकर, तलकर, सेंककर, घी मे कुरमरी करके खाई जाती है। साथ ही ये सब्जियो के रूप में भी परोसी जाती है।
दो रुपए में वहाँ इतनी इल्लियाँ मिल सकती हैं कि किसी मासाहारी का पेट भर जाए। अफ्रीका में घने वन है तथा वनस्पतियो की आज भी कोई कमी नहीं है।
2 ब
३
Page #64
--------------------------------------------------------------------------
________________
इसलिए इल्लियाँ आदि बड़ी मात्रा में मिलती हैं। वहाँ होटलो में भी इल्लियो को मूँगफली तथा दलिया या टमाटर के साथ बनाकर परोसा जाता है।
DOLESCEN
ची
IIIII
--
नन्ही सी जान, मचाए बड़े-बड़े तूफान
दीमक
हमारी सपत्ति का ऐसा कोई भाग नहीं है, जहाँ दीमक को रहना पसद न हो । घर, खेत, खलिहान, यहाँ तक कि कीमती किताबें और दस्तावेज आदि सब दीमको को पसद है ।
दीमक फसलो तक को चौपट कर देती है। यह पौधो की जडो में पहुँचकर उनका सफाया कर देती है। गेहूँ, गन्ना तथा आलू की फसल पर यदि दीमक लग जाए तो उसका ईश्वर ही मालिक है ।
चाय का पौधा बहुत कीमती होता है। यदि दीमक उसे चटकर जाए तो कितना नुकसान होता होगा, यह हम आसानी से समझ सकते हैं। दीमको में बहुत अधिक सामाजिक भावना पाई जाती है । यह सामाजिक भावना भी सेना के समान अनुपासन है। इनमें राजा, रानी, सिपाही तथा श्रमिक चार वर्ग होते हैं। ऐसी व्यवस्था मधुमक्खियों के छत्ते में भी होती है ।
दीमक के निवास स्थान को 'बिवाई' नाम दिया जाता है। विवाई को 'एट हिल'
कीट-पतंगो की आश्चर्यजनक बातें 63
Page #65
--------------------------------------------------------------------------
________________
कहते है, जिसका अर्थ होता है चीटियो या चीटियो जैसे कीट द्वारा बनाया गया मिट्टी का पहाड । जब लाखो की सख्या मे दीमक एक जगह अपनी बिवाई (बॉबी या एट हिल) बना ले तो उसकी ऊँचाई 20-25 फुट तक हो जाती।
PrOS
XES
S
एक रोचक ओर आश्चर्यजनक बात यह है कि इनकी एक बस्ती या बिवाई मे एक ही राजा-रानी होते हैं। रानी इतनी भारी होती है कि उसका चल-फिर पाना तक सभव नहीं होता। वह एक विशेष प्रकार की कोठरी मे पड़ी रहती है। दीमक एक वर्ष मे एक लाख से भी अधिक अडे दे सकती है।
अपनी बिवाई के नष्ट होते ही यह उसे ऐसे ठीक कर देती है, जैसे सेना टूटे हुए किले या पुल को तत्काल ठीक कर देती है।
-
HAIR
4 D को पगों का आश्चर्यजनक बाते 17
Page #66
--------------------------------------------------------------------------
________________
दीमक से भगवान बचाए। यह जहाँ लग जाए, बस उसका सत्यानाश करके ही जाए। इसे लकडी, किताबे आदि बहुत प्रिय हैं। दीमक और एक नन्हे प्रकार के कीट को, जो सारा जीवन पुस्तकालयो मे बिता देते हैं, आप क्या कहेंगे?
पुस्तको का प्रेमी या दुश्मन 7
श्रमिक दीमक 'फफूँदी' की खेती भी करते हैं, फफूँदी दोमको का भोजन है । ये नई-नई बस्तियो को बनाने के अलावा अडो की देखरेख तथा भोजन इकट्ठे करने के काम में लगातार जुटे रहते हैं ।
दीमको को खानेवाले शत्रुओ की कोई कमी नहीं होती । तीतर तथा अन्य पक्षी बडे ही चाव से इस नरम कीट को खाते हैं। अफ्रीका मे हब्शी लोग दीमक को बाकायदा आटे तथा तबाकू में मिलाकर इसका सेवन करते हैं । फिर भी दीमक दिन दूनी रात चौगुनी बढती हैं ।
एक रोचक और ज्ञानवर्धक बात यह है कि जब दीमको को मारना होता है, नष्ट करना होता है तो यह आवश्यक होता है कि रानी दीमक को ढूंढा जाए, पकडा जाए तथा मारा जाए। यह तीन से चार फुट की गहराई पर अपनी 'बिवाई' में मिल जाती है।
अग्रेज लोग दीमक को 'सफेद चीटी' या 'ह्वाइट एट' का नाम देते हैं क्योंकि रंग-रूप मे यह 'गोरी नारी' होती है। परतु दीमक चीटी के समान चींटी नही होती। इसका रग-रूप भिन्न होता है ।
कीट-पतंगों की आश्चर्यजनक बातें 65
Page #67
--------------------------------------------------------------------------
________________
एक विशेष बात यह है कि दीमक के शरीर मे एक प्रकार का प्रोटोजोआ होता है, जो लकडी को पचा लेता है। लकडी को पचा लेना दीमक की अपनी विशेषता है। परतु आश्चर्य की बात तो यह है कि दीमक लकडी को खा जाती है और उसे मिट्टी से भरती जाती है। शायद लकडी को खाली देखना उसे भी अच्छा नहीं लगता, परतु इस प्रकार वह भवन व मनुष्यो के साथ बहुत बडा धोखा करती है।
मनुष्यों को कहीं भी चैन से न बैठने देनेवाले मच्छर
मच्छर का शरीर-सिर, वृका और उदर तीन भागो में बँटा होता है। इसके मिर पर एक जोडी सयुक्त नेत्र होते हैं तथा एक जोडी स्पर्श सूत्र होते हैं। इसके अग काटने ओर चबानेवाले होते हैं। इसके तीन जोडी टॉगे और दो जोडी पख होते हैं। मच्छर समातर दिशा मे बेठता है जबकि 'एनोफिलस मच्छर' 45 अश का कोण बनाकर बैठता है। इसी बैठक के आधार पर इसे पहचाना जाता है। यह बात भी कम
रोचक नहीं है।
इसके कुछ रोचक और ज्ञानवर्धक अश बडे ही आकर्षण हैं जैसे - ठीक हमारी नाक के नीचे या शरीर के आसपास घणित कार्यवाही करनेवाले मच्छरों से मनुष्य चाहे जितनी प्रगति कर ले, उसका मुक्ति पाना कठिन है। तीन जोडे पेरों, दो जोडे डेनों और डकनुमा मुँहवाला यह आतकवादी पृथ्वी पर 26 करोड़ से भी अधिक वर्षों से
जीवित है।
66 0
पता अरवमा यते
Page #68
--------------------------------------------------------------------------
________________
क
कीटनाशको से डरकर ये भाग जाते हैं और रात मे रात्रि भोज के पूर्व अपने शिकार खोजने बिना हिचक पहुँच जाते हैं। मच्छर मलेरिया, फाइलेरिया, मस्तिष्क ज्वर
और डेगू आदि सब बीमारियो की जड हैं।
SPEE
HINu
.ne-------
कीट-पतगों को आश्चर्यजनक बातें n 67
Page #69
--------------------------------------------------------------------------
________________ विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी सस्था अब कीटनाशक दवाओ से लेप लगी मच्छरदानी का इस्तेमाल करने की सलाह दे रही है। सच। विश्व-विजेता मानव ने मच्छरो के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं। AMERICA / Swa % - - - 680 कीट पतंगों को आश्चर्यजनक बातें * * *