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इल्लियो मे एक रोचक बात यह भी है कि इल्ली की टाँगे अस्थायी होती हैं, जो बाद मे गिर जाती हैं (समाप्त हो जाती हैं) । इल्ली का शरीर 13 छल्ले रूपी भागो में बॅटा रहता है । इल्ली भी सारे समय खाती ही रहती है। यहाँ तक कि रात और दिन वह खाती रहती है। क्योंकि यह तेजी से बढती है, अत इसे अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। ये मूलियो और शलजम जैसे खाद्य पदार्थों को कुतरकर मानवो को बहुत हानि पहुँचाती हैं।
इल्ली अपने शरीर की खाल बदल देती है, जिसे 'निर्मोचन' कहा जाता है। अनेक कीटो की खाल उनके बढने या शारीरिक रूप से विकास करते समय ही फट जाती है। किंतु इल्ली में यह बात नहीं है।
आप दल्लियों को देखकर भले ही मुँह बनाएँ, परतु जाबिया (अफ्रीका) में इल्लियों को देखकर लोगो के मुँह में पानी आता है। वहाँ ये स्वादिष्ट पदार्थ के रूप में भूनकर, तलकर, सेंककर, घी मे कुरमरी करके खाई जाती है। साथ ही ये सब्जियो के रूप में भी परोसी जाती है।
दो रुपए में वहाँ इतनी इल्लियाँ मिल सकती हैं कि किसी मासाहारी का पेट भर जाए। अफ्रीका में घने वन है तथा वनस्पतियो की आज भी कोई कमी नहीं है।
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