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हम यह जानते ही हैं कि पक्षियो के 'पर' उनके शरीर को गरम बनाए रखने में बडी सहायता पहुँचाते हैं ।
ठंड के दिनो मे ऐसा कौन सा प्राणी होगा, जो अपनेआपको 'असुरक्षित' महसूस न करता हो, परतु मधुमक्खिया अपने छत्तो मे इन कठिन दिनो में भी आराम से अपने काम मे लगी रहती हैं। एक विशेष प्रकार की मधुमक्खियों लकडी में बिल बनाकर रहती हैं, इन्हे 'बढई मधुमक्खी' कहा जाता है। हम इन्हें 'कागज बर्र' कहते हैं । इनके छत्ते को किसी भी बड़े भवन मे आसानी से देखा जा सकता है। कभी-कभी ये हमारे पास मॅडराती भी रहती हैं।
यह भी आश्चर्यजनक है कि बर्र और ततैया ससार के सर्वप्रथम 'कागज निर्माता' कहे जाते हैं। जिस प्रकार पक्षियो से मानव ने हवा में उड़ने की प्रेरणा ली और हवाई जहाज बनाया, उसी प्रकार से मानव ने कागजी बर्र तथा ततैया से कागज बनाने की प्रेरणा ली होगी ।
आज भी ये लकड़ी को पीसकर और अपने मुँह की लार मिलाकर कागज-सी वस्तु तैयार करती हैं।
10 कोट पतंगों की आश्चर्यजनक बातें