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एक विशेष बात यह है कि दीमक के शरीर मे एक प्रकार का प्रोटोजोआ होता है, जो लकडी को पचा लेता है। लकडी को पचा लेना दीमक की अपनी विशेषता है। परतु आश्चर्य की बात तो यह है कि दीमक लकडी को खा जाती है और उसे मिट्टी से भरती जाती है। शायद लकडी को खाली देखना उसे भी अच्छा नहीं लगता, परतु इस प्रकार वह भवन व मनुष्यो के साथ बहुत बडा धोखा करती है।
मनुष्यों को कहीं भी चैन से न बैठने देनेवाले मच्छर
मच्छर का शरीर-सिर, वृका और उदर तीन भागो में बँटा होता है। इसके मिर पर एक जोडी सयुक्त नेत्र होते हैं तथा एक जोडी स्पर्श सूत्र होते हैं। इसके अग काटने ओर चबानेवाले होते हैं। इसके तीन जोडी टॉगे और दो जोडी पख होते हैं। मच्छर समातर दिशा मे बेठता है जबकि 'एनोफिलस मच्छर' 45 अश का कोण बनाकर बैठता है। इसी बैठक के आधार पर इसे पहचाना जाता है। यह बात भी कम
रोचक नहीं है।
इसके कुछ रोचक और ज्ञानवर्धक अश बडे ही आकर्षण हैं जैसे - ठीक हमारी नाक के नीचे या शरीर के आसपास घणित कार्यवाही करनेवाले मच्छरों से मनुष्य चाहे जितनी प्रगति कर ले, उसका मुक्ति पाना कठिन है। तीन जोडे पेरों, दो जोडे डेनों और डकनुमा मुँहवाला यह आतकवादी पृथ्वी पर 26 करोड़ से भी अधिक वर्षों से
जीवित है।
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पता अरवमा यते