Book Title: Keet Patango ki Ascharyajanak Baten
Author(s): Rajnish Prakash
Publisher: Vidya Vihar

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Page 47
________________ मानवों ने कीटो से भी बहुत कुछ सीखा है जी हॉ, मानवो ने कीटो से भी बहुत कुछ सीखा है। मधुमक्खियो तथा दीमक के छत्तों मे जो-जो अनुशासन देखने को मिलते हैं, उनसे हमें सेना के अनुशासन की याद आती है, साथ ही उस प्रकार का अनुशासन रखने की प्रेरणा जीवन में मिलती है। ____कहावतो, मुहावरो तथा लोकोक्तियो मे बडी सख्या ऐसी कहावतो, मुहावरो आदि की भी है, जिनमे कोटो के नाम, काम, जीवन-परिचय या उनकी विशेषताओ का उल्लेख हुआ है। इन कहावतो को हम दैनिक जीवन मे उपयोग मे लाते हैं तथा बात को समझने मे आसान बनाते हैं। अनेक बार तो इन कहावतो को कहे बिना अपनी बात प्रभावशाली ढग से नहीं कही जा सकती तथा कई बार तो केवल एक ही माध्यम रह जाता है कि इस बात को केवल कीटो से सबधित किसी कहावत या मुहावरे के माध्यम से ही समझाया जाए। जैसे 'वह आजकल मक्खी मार रहा है' अर्थात पूरी तरह से बेकार है और बेकार के तथा निरुद्देश्य कामों में लगा है। देखिए इनके अनिवार्य उपयोग के कुछ अश जैसे चींटी की चाल चलना, चीटी के पर निकलना, तितली बनना, बिच्छू का-सा डक मारना, जूं न रेगना या जू के समान रेगना, दूध की मक्खी, दूध की मक्खी के समान निकाल फेकना, मक्खी मारना, नाक पर मक्खी न बैठने देना आदि-आदि । इनकी सख्या बडी विस्तृत और रोचक है। निश्चित ही कहावतो और मुहावरो मे कीट-पतगे आदि अपनेआप मे एक विशेष अध्ययन की आवश्यकता रखते हैं। एक प्रकार की काली मकडी बडी विषैली होती है। इसे अग्रेजी भाषा में 'ब्लैक विडोस्पाइडर' कहा जाता है। पश्चिमी देशो तथा अग्रेजो मे विधवाएँ केवल काले कपडे पहनती हैं। उन्होंने 46 0 कोट पता को आश्चर्यजनक बातें


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