Book Title: Keet Patango ki Ascharyajanak Baten
Author(s): Rajnish Prakash
Publisher: Vidya Vihar

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Page 64
________________ इसलिए इल्लियाँ आदि बड़ी मात्रा में मिलती हैं। वहाँ होटलो में भी इल्लियो को मूँगफली तथा दलिया या टमाटर के साथ बनाकर परोसा जाता है। DOLESCEN ची IIIII -- नन्ही सी जान, मचाए बड़े-बड़े तूफान दीमक हमारी सपत्ति का ऐसा कोई भाग नहीं है, जहाँ दीमक को रहना पसद न हो । घर, खेत, खलिहान, यहाँ तक कि कीमती किताबें और दस्तावेज आदि सब दीमको को पसद है । दीमक फसलो तक को चौपट कर देती है। यह पौधो की जडो में पहुँचकर उनका सफाया कर देती है। गेहूँ, गन्ना तथा आलू की फसल पर यदि दीमक लग जाए तो उसका ईश्वर ही मालिक है । चाय का पौधा बहुत कीमती होता है। यदि दीमक उसे चटकर जाए तो कितना नुकसान होता होगा, यह हम आसानी से समझ सकते हैं। दीमको में बहुत अधिक सामाजिक भावना पाई जाती है । यह सामाजिक भावना भी सेना के समान अनुपासन है। इनमें राजा, रानी, सिपाही तथा श्रमिक चार वर्ग होते हैं। ऐसी व्यवस्था मधुमक्खियों के छत्ते में भी होती है । दीमक के निवास स्थान को 'बिवाई' नाम दिया जाता है। विवाई को 'एट हिल' कीट-पतंगो की आश्चर्यजनक बातें 63

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