Book Title: Keet Patango ki Ascharyajanak Baten
Author(s): Rajnish Prakash
Publisher: Vidya Vihar

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Page 39
________________ अनेक प्रकार के कीट अपने शरीर को ढकनेवाली खाल को प्राकृतिक रूप से फाड लेते हैं, ताकि उनका शरीर बढे तथा वे अगले जीवन-क्रम को प्राप्त कर सके। इल्ली तथा अन्य प्रकार के कीटो में ऐसा ही होता है। आइए, यह भी जान ले कि ... * शहतूत पर पाला जानेवाला रेशम का कीडा 56 दिनो मे अपने वजन से 7,000 गुना वजन का भोजन चटकर जाता है। इसी प्रकार मनुष्यो के लिए उपयोगी लाख का कीडा भी कितनी वनस्पति को खाकर समाप्त करता होगा? * बैक स्वीमर्स नामक एक विलक्षण कीडा उलटा होकर तैरता है। उसको बोट बग यानी 'बोट के समान तैरनेवाला' कीडा कहा जाता है। एक साधारण-सी चींटी अपने वजन का 50 गुना वजन भोजन के रूप मे उठा सकती है। * एक उडती हुई मक्खी एक सेकड मे 200 से 300 बार अपने पखो को फडफडाती है। * घोघा नामक समुद्री जीव ब्लेड की धार पर बिना घायल हुए चल सकता है। ऐसा वह अपने कडक शरीर के कारण करता है। कॉकरोच का रक्त रगहीन होता है। इसमे हीमोग्लोबिन का प्रभाव होता है। यह सफेद रंग का होता है, जबकि केचुए के रक्त मे हीमोग्लोबिन मिलता है। अनेक जतुओ के कूटपॉव अपना भोजन पकडने. के काम मे आते हैं, साथ ही इनकी सहायता से ये अपना भोजन खाते हैं। * अनेक प्राणी 'द्वि-लिगीय' होते है। कुछ के गुदा-द्वार उनके मुख के पास होते हैं। ये दोनो गुण केचुए में पाए जाते हैं। सी फैन अर्थात समुद्री पखा नामक जीव पखे के समान दिखाई देते हैं। ये भी कॉलोनी बनाकर रहते हैं। फीताकृमि 2 से 3 मीटर तक लबे हो सकते हैं। ये परजीवी मानव, सूअर आदि के शरीर मे भी होती है। * रेशम और लाख के कीडे के अलावा टाइगर बीटल्स कीडा भी मनुष्य जाति के लिए अधिक उपयोगी होता है। इसको 4,000 जातियाँ मनुष्यो के शत्रु कीटो के 38 Dकीट पतगों की आश्चर्यजनक बातें

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