Book Title: Keet Patango ki Ascharyajanak Baten
Author(s): Rajnish Prakash
Publisher: Vidya Vihar

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Page 42
________________ * गोल कृमि भी इसी प्रकार मनुष्यो व अन्य बडे प्राणियो को रोगी बना देते हैं । uninst * केचुआ निशाचार होता है, सिह, उल्लू व चमगादड के समान । इसे रोशनी भी पसद नही होती। पशुओ के शरीर से चिपकी रहनेवाली जोक बाह्य परजीवी है । यह बाहर रहकर खून चूसती है तथा प्राणियो मे रोग फैलाती है । HDD) X DEB * झींगा मछली का पेट 19 खडो मे बॅटा रहता है । यह भी निशाचर होती है । परतु इसे चाहनेवाले बमुशकिल इसे खोज ही लेते हैं। यह ससार के अनेक भागो में कोट पतगों को आश्चर्यजक बातें 41

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