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चौंकिए मत यह सुनकर कि..... कीट खाने के पदार्थों के रूप में भी काम आते हैं। अफ्रीका की अनेक हब्शी जातियाँ दीमक को आटे मे मिलाकर 'पौष्टिक रोटियाँ बनाती और खाती हैं। दीमक के हजारो शत्रु होते हैं, जिनमें तीतर या बटेर प्रमुख हैं। ये दीमक को खाते हैं। आदिवासी इन्हें प्रेम से पकाकर खाते हैं।
बर्मा देश में दीमको को सुखाकर रखा जाता है और वक्त-जरूरत खाया जाता है। वहाँ इन्हें दालमोठ के समान नमक मिलाकर ठेलो पर बेचते भी हैं। कुछ देशों में लोग दीमकों को 'तबाकू चिलम' मे मिलाकर पीते हैं।
सॉप के विषैले भाग को काटकर उसे मास के रूप मे खाया जाता है। दूसरे विश्व-युद्ध के समय अजगर का मास सैनिको को भोजन के रूप मे दिया गया था।
चीटी चोर नामक कीट छिपे बैठे रहते हैं तथा चीटियो को पकड़कर रेत या मिट्टी के नीचे घसीटकर ले जाते हैं तथा उन्हे अपना भोजन बना लेते हैं।
पक्षियो में अनेक पक्षी मेहतर या सफाई करनेवाले पक्षी माने जाते हैं, जिनमे गिद्ध, बाज, कौए आदि प्रमुख हैं।
डग बीटल्स या गुबरीले कीडे गोबर में छिपी गदगी को समाप्त करते हैं। हमारे घरों मे सैप्टिक टैंक होते हैं। उनमें भी गुबरीले कीडे रहते हैं। ये मल मे रहे अन्न के शेष भाग को खाकर उसे खाद मे बदलते रहते हैं। यह खाद 'सोन' खाद कहलाती है, जो सोने की फसल पैदा करने की शक्ति रखती है। आलू आदि में 'सोन खाद' बहुत उपयोगी होती है। यदि ये कीडे सैप्टिक टैंक मे न हों तो उनकी सफाई इतनी अच्छी न हो सके। इन्हें बकायदा सैप्टिक टैंक मे पकडकर डाला जाता है। दूसरी ओर सडे गोबर में सडा आलू मिलाकर डालने से भी ये अपनेआप पैदा हो जाते हैं। यह गोबर आलुओ पर चढाया जाता है तथा इन्हे सैप्टिक टैंक के अदर डाला जाता है। किसी समय बड़े शहरो में बोतल में गुबरीले कीडे मॅगाए जाते थे।
कीट-पतगों की आश्चर्यजनक बातें 025